सीएम मोहन ने गौ पालकों के लिए की बड़ी घोषणाएं, बोले- जिनके घर में गाय नहीं वो धरती पर बोझ

Edited By meena, Updated: 07 Mar, 2024 03:04 PM

cm mohan made big announcements for cow farmers

मध्यप्रदेश में गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन पर आयोजित हितधारकों की कार्यशाला का समापन कार्यक्रम में सीएम मोहन शामिल हुए...

भोपाल: मध्यप्रदेश में गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन पर आयोजित हितधारकों की कार्यशाला का समापन कार्यक्रम में सीएम मोहन शामिल हुए। इस दौरान सीएम मोहन ने संबोधन किया और कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि जिसके घर में गाय हैं वो गोपाल, जिसके घर में गाय नहीं है, वो भू-पाल (पृथ्वी पर वजन) है। उज्जैन का गोपाल मंदिर, द्वारकाधीश का मंदिर है। गाय पीछे है तो गोपाल, भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा-कृष्ण, गोपाल-कृष्ण ये भगवान के विविध रूप हैं।

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भारत के अंदर गौशाला बनाना और गौशाला चलाना पवित्र काम है, लेकिन पहला प्रयास होना चाहिए कि लोग गौशाला के बजाय घर-घर में गाय का पाले। गौ संवर्धन बोर्ड बनाने से काम नहीं चलेगा, अलग-अलग विभागों को एक साथ जोड़कर मंत्रिमंडलीय समिति बनाएंगे, जिसे अगली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।

बैठक में राजस्व मंत्री, धर्मस्व मंत्री, संस्कृति मंत्री, पर्यटन मंत्री, पशुपालन मंत्री, नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत के मंत्री रहेंगे। ये सभी विभाग मिलकर समग्र विचार करेंगे। बड़े-बड़े मंदिर हैं लेकिन वहां गौशाला नहीं है। हमने पिछली बैठक में निर्णय किया है कि सभी देव-स्थानों का विकास करेंगे। मंदिरों के लिए भी मंत्रिमंडलीय समिति बनाने की बात कही है, इसके लिए भी समग्र रूप से विचार करना है।

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गांव के मंदिरों के लिए ग्रामीण विकास विभाग और शहर के मंदिरों का शहरी विकास विभाग चिंता करेंगे। नदी के किनारे मंदिर है तो जल संसाधन विभाग चिंता करेंगे। किसान सिर्फ कृषि आय पर निर्भर नहीं रहे, रोजमर्रा के लिए पशुपालन का व्यवसाय उसके पास होना चाहिए। दूध का उत्पादन बढ़ाया जाए और उसके उपयोग को लेकर सरकार क्या प्रोत्साहन दे सकती है? इस पर भी काम कर रहे हैं। गौशाला की आय के साथ, गौशाला अपने पैरों पर खड़ी होनी चाहिए।

गौ माता और नंदी सड़कों पर बैठते हैं, उन्हें सूखी जगह में बैठने की आदत होती है। गाय सड़कों पर इसलिए बैठती हैं क्योंकि वो सूखी जगह होती है और जब गाड़ियां चलती हैं तो वो पंखे का काम करती हैं। ये संवेदना समझने की जरूरत है। हमने तय किया है कि अगली बरसात तक किसी भी हालत में सड़कों पर गौवंश को नहीं रहने देंगे, उसके लिए जो करना होगा वो करेंगे। गौ माता और तोते ये मनुष्य आधारित पशु-पक्षी हैं, उनका हमारा कई जन्मों का सम्बंध है, इसलिए उसको अभ्यारण नाम देना गलत है। किसी भी हालत में जितनी गौशालाएं अधूरी हैं, उन गौशालाओं को पूरी कराएंगे। ये सरकार का पहला निर्णय है।

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गौ संवर्धन बोर्ड के माध्यम से अभी गौशालाओं को 20 रुपये मिलते हैं, उन्हें डबल करके, 40 रुपये दिए जाएंगे, इसे समय पर दिलवाएंगे इसमें लंबा गैप नहीं होगा। पंचायत को प्रेरित करेंगे, भूसा काटने की मशीन और अन्य संसाधनों के लिए अनुदान देंगे।

जहां-जहां चरनोई है, वहां से अतिक्रमण हटाएंगे। प्रति 50 किलोमीटर टोल एजेंसी के अनुबंध के अनुसार हाइड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग वहन की व्यवस्था की जाएगी ताकि घायल पशुओं की लिफ्टिंग की जा सके। चैत्र पड़वा से नया वर्ष  गौ वंश, रक्षा वंश के रूप में मनाया जाएगा। श्रेष्ठतम गौशाला के संचालन पर पुरस्कृत किया जायेगा। गौशाला अपनी पैरों पर खड़ी हो, इस दिशा में काम करेंगे।

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