'हर अपराध के लिए बच्चे को दंडित करना जरूरी नहीं' : जस्टिस मदन

Edited By suman, Updated: 22 Jul, 2018 05:18 PM

it is not necessary to punish the child for every crime

हर अपराध के लिए बच्चे को दंडित करना जरूरी नहीं। कई बार उसका गलती स्वीकारना भी पर्याप्त होता है। यह चिंता की बात है कि देश में बच्चों के प्रति यौन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। जितने अपराध बच्चे करते हैं, उससे तीन गुना ज्यादा उनके साथ होते हैं।...

इंदौर : हर अपराध के लिए बच्चे को दंडित करना जरूरी नहीं। कई बार उसका गलती स्वीकारना भी पर्याप्त होता है। यह चिंता की बात है कि देश में बच्चों के प्रति यौन अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। जितने अपराध बच्चे करते हैं, उससे तीन गुना ज्यादा उनके साथ होते हैं। बच्चों के प्रति होने वाले अपराध को लेकर समाज के नजरिए में बदलाव की जरूरत है।

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यह बात सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने कही। वे किशोर न्याय अधिनियम के बेहतर क्रियान्वयन को लेकर आयोजित क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। जस्टिस लोकुर ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि बच्चों के प्रति होने वाले अपराध रोकने के लिए लोगों को तैयार करना जरूरी है लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि जिन्हें हम ट्रेनिंग दे रहे हैं, उनकी क्षमताएं क्या हैं।

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उन्होंने राज्य सरकारों से अपील की कि वे अपने-अपने राज्य के बाल अपराधियों के पुनर्वास के लिए आगे आएं और अपनी हिस्सेदारी निभाएं। देश में हर साल बच्चों द्वारा करीब 30 हजार अपराध किए जाते हैं। चिंता की बात है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या 90 हजार से ज्यादा है। बच्चों द्वारा किए गए अपराध के मामले में सजा सुनाते वक्त हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारे दबाव में कोई बच्चा उस अपराध की स्वीकारोक्ति न कर ले जो उसने किया ही नहीं। उनकी सजा के विकल्प पर भी विचार करना चाहिए। सोशल ऑडिट की भी जरूरत है।

 

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