Video: गेहूं के समर्थन मूल्य पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, किसान की मौत के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार

Edited By meena, Updated: 26 May, 2020 03:59 PM

उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीदी की अव्यवस्थाओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी को लेकर बड़े बड़े दावे करते हैं, खूब आंकड़े जारी करते हैं लेकिन...

भोपाल(इजहार हसन खान): उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीदी की अव्यवस्थाओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सिंह किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी को लेकर बड़े बड़े दावे करते हैं, खूब आंकड़े जारी करते हैं लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। किसान भाईयों को अपनी मेहनत से उगाई गेहू को खरीदने के लिए बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी ही अव्यवस्थाओं के चलते उपार्जन केंद्र पर मालवा में मलवासा के किसान की मौत हो गई। कमनाथ ने शिवराज सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही किसान को अपनी मौत से हाथ धोना पड़ा।


पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि समर्थन मूल्य पर गेहूं ख़रीदी के भले बड़े-बड़े दावे करे, ख़ूब आंकड़े जारी करे लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। किसान भाइयों को अपनी उपज बेचने के लिए काफ़ी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है। उपार्जन केंद्रो पर कहीं बारदान की कमी है , कहीं तुलाई की व्यवस्था नहीं है, कई परिवहन नहीं होने से काम बंद पड़ा है ,किसानों को एसएमएस भेजकर बुलाया लिया जाता है। चार-चार दिन भीषण गर्मी में किसान अपनी उपज बेचने के लिये भूखा प्यासा कई किलोमीटर लंबी लाइन में लगा हुआ है, उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
 


आगर मालवा में किसान की मौत का जिम्मेवार शिवराज सरकार
कमलनाथ ने आगे लिखते हुए कहा कि आगर - मालवा में मलवासा के एक किसान प्रेम सिंह की इसी परेशानियों व अव्यवस्थाओं से दुखद मौत हो गई। इस किसान को 19 मई को उसकी उपज को लेकर झलारा उपार्जन केंन्द्र पर बुलाया गया था।चार दिन इंतज़ार के बाद उसके उपार्जन केन्द्र को परिवर्तित कर उसे तनोड़िया बुलाया गया। 25 मई को 6 दिन बाद जब उसका नंबर आया, तभी अपनी फ़सल बेचने को लेकर भीषण गर्मी में निरंतर भटक रहे ,तनाव झेल रहे किसान प्रेम सिंह की दुःखद मृत्यु हो गई।

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ख़रीदी की अव्यवस्थाओं से हुए तनाव से इस किसान की जान चली गई। इसकी ज़िम्मेदार सरकार व उसकी नीतिया है। ऐसे ही कई किसान निरंतर परेशानियो का सामना कर रहे है, अपनी उपज बेचने के लिये निरंतर भटक रहे है , तनाव झेल रहे है। सरकार सिर्फ़ झूठे दावे में लगी हुई है, ज़मीनी धरातल पर स्थिति विपरीत है। सरकार इस मृत किसान के परिवार की हरसंभव मदद करे व इस किसान की मौत के ज़िम्मेदारों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो।

 

 

 

 

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