Edited By Himansh sharma, Updated: 03 Jan, 2025 08:50 PM
आरएसएस के 'स्वर शतक' कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपना संबोधन दिया।
इंदौर। (सचिन बहरानी): मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में आयोजित आरएसएस के 'स्वर शतक' कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा, "एक साथ इतने स्वयंसेवक संगीत का प्रस्तुतिकरण कर रहे हैं, यह एक आश्चर्यजनक घटना है। हमारी रण संगीत परंपरा जो विलुप्त हो गई थी, अब फिर से लौट आई है। महाभारत में पांडवों ने युद्ध के समय घोष किया था, उसी तरह संघ ने भी इसे पुनः जागृत किया।
उन्होंने आगे बताया, "संघ जब शुरू हुआ, तब शारीरिक कार्यक्रमों के साथ-साथ संगीत की भी आवश्यकता थी। उस समय मिलिट्री और पुलिस से ही संघ ने संगीत सीखा। यह सब देशभक्ति के लिए किया गया।" भागवत ने यह भी कहा, "हमारा देश दरिद्र नहीं है, हम अब विश्व पटल पर खड़े हैं। संघ के कार्यक्रमों से मनुष्य के सद्गुणों में वृद्धि होती है।
मोहन भागवत ने कहा डंडा चलाने का उद्देश्य झगड़ा करना नहीं है, बल्कि यह उस स्थिति के लिए है जब कोई हमारे सामने आकर गिर जाए, तो हम उसकी मदद कर सकें। लाठी चलाने वाले व्यक्ति को वीरता प्राप्त होती है, वह कभी नहीं डरता।" इस दौरान संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों को देशभक्ति और अपने कर्तव्यों को निभाने का संदेश भी दिया।