188 साल पुराने मां हरसिद्धि के मंदिर में लगा भक्तों का तांता, दीपावली पर पीले चावल देकर मां महालक्ष्मी को किया निमंत्रण

Edited By meena, Updated: 24 Oct, 2022 01:29 PM

the influx of devotees in the 188 year old temple of maa harsiddhi

वैसे तो मध्यप्रदेश के कई शहरों में मां लक्ष्मी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इंदौर में 188 साल पुराना मां महा लक्ष्मी का हरसिद्धि मंदिर स्थित है। जहां लाखों की संख्या में दीपावली पर भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं और पीले चावल देकर मां महालक्ष्मी को अपने...

इंदौर(सचिन बहरानी): वैसे तो मध्यप्रदेश के कई शहरों में मां लक्ष्मी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इंदौर में 188 साल पुराना मां महा लक्ष्मी का हरसिद्धि मंदिर स्थित है। जहां लाखों की संख्या में दीपावली पर भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं और पीले चावल देकर मां महालक्ष्मी को अपने घर आने का निमंत्रण देते है। इंदौर के राजवाड़ा में होलकर कालीन महालक्ष्मी मंदिर स्थित है। कहा जाता है इस मंदिर की वजह से ही होलकर राजाओं को कभी अपने राज्य में धन की कमी नहीं हुई। मंदिर में दिवाली के अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त यहां देवी महालक्ष्मी के दर्शन और उपासना करने पहुंचते हैं। मंदिर आने वाले भक्तों में इंदौर के साथ ही आसपास के जिलों से आने वाले लोग भी शामिल रहते हैं।

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इस दौरान महालक्ष्मी मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि  महालक्ष्मी का करीब 188 साल प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर इंदौर की ऐतिहासिक धरोहर राजवाड़ा के समीप स्थित है। मंदिर के पुजारी के अनुसार होलकर कालीन मंदिर की स्थापना 1833 में इंदौर के राजा हरि राव होलकर ने की थी। उस दौर में यहां मंदिर नहीं था, प्रतिमा की स्थापना एक पुराने मकान में की गई थी।

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होलकर वंश के लोग उस समय नवरात्र और दिवाली पर माता के दर्शन करने आते थे। इसके साथ ही खजाना खोलने से पूर्व भी होलकर राजवंश मां महालक्ष्मी का आशीष लेता था। इस मंदिर में होलकर काल से चली आ रही परंपरा आज भी देखने को मिलती है। यह महालक्ष्मी मंदिर इंदौर वासियों के लिए बेहद खास है। क्योंकि यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि यहां माता महालक्ष्मी के दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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हर साल दीपावली के मौके पर मंदिर में 5 दिवसीय महोत्सव होता है। धनतेरस से शुरू होकर ये महोत्सव भाईदूज पर पूरा होता है। इस मौके पर यहां लाखों दर्शनार्थी मंदिर पहुंचते हैं। दिवाली के दिन मंदिर के पट सुबह तीन बजे खोल दिए जाते हैं। 11 पंडित मां लक्ष्मी का विशेष अभिषेक किया गया और फिर श्रृंगार के बाद माता की महाआरती की जाती है। हालांकि इस बार ग्रहण के चलते चार दिन ही दीपोत्सव मनाया जा रहा है। 

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