Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 23 Feb, 2019 06:00 PM
कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही व्यापम मामले को लेकर यू टर्न ले लिया है। बीजेपी सरकार पर व्यापम मामले में घोटाला करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में व्यापम को बंद करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने विधानसभा में...
भोपाल: कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही व्यापम मामले को लेकर यू टर्न ले लिया है। बीजेपी सरकार पर व्यापम मामले में घोटाला करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में व्यापम को बंद करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने विधानसभा में लिखित जवाब दिया कि सरकार फिलहाल व्यापम को बंद नहीं करेगी। जिससे बीजेपी को एक बार फिर से कांग्रेस पर ऊंगली उठाने का मौका मिल गया है।
दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा में तारांकित प्रश्न किया गया था जिसमें पूछा गया था कि क्या शासन व्यापम को बंद करेगा और अगर हां तो इसकी जगह परीक्षा और पारदर्शिता के लिए किस संस्थान का गठन करेगा। इस प्रश्न के जवाब में कमलनाथ की तरफ से लिखित तौर पर यह कहा गया है कि वर्तमान में सामान्य प्रशासन विभाग में इस तरह का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। ऐसे में भाजपा को बोलने का मौका मिल गया है कि कांग्रेस ने व्यापम को लेकर गलत दावे किए थे।
ऐसा नहीं है कि वचन पत्र में शामिल और चुनाव में उठाए गए मुद्दों से ही कांग्रेस सिर्फ व्यापम मामले में ही पीछे हटी है। इससे पहले मंदसौर गोलीकांड नर्मदा किनारे पौधारोपण मामले ओर सिंहस्थ घोटाले में चुनाव से पहले भाजपा सरकार को दोषी बताने वाली कांग्रेस विधानसभा में दिए गए जवाब में उसे क्लीन चिट दे चुकी है। इन मुद्दों पर सरकार के मंत्रियों द्वारा बीजेपी को क्लीन चिट दिए जाने पर कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सार्वजनिक तौर पर मंत्रियों को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी अब कमलनाथ द्वारा व्यापम मामले में वचन पत्र से पीछे हटने के सवाल पर दिग्विजय सिंह को कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में हैं।