Edited By meena, Updated: 13 Aug, 2024 05:10 PM
मध्य प्रदेश के इंदौर कोर्ट ने एक जज के केस को झूठा साबित कर दिया। कोर्ट ने जज के केस के खिलाफ फैसला सुनाते हुए...
इंदौर (सचिन बहरानी ) : मध्य प्रदेश के इंदौर कोर्ट ने एक जज के केस को झूठा साबित कर दिया। कोर्ट ने जज के केस के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि जज ने मारपीट की वारदात को लूट की घटना बताकर केस दायर किया था लेकिन सीसीटीवी फुटेज में जज के साथ सिर्फ मामूली कहासुनी हुई है न कि मारपीट की घटना। ऐसे में हाईकोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों को जमानत का लाभ दिया है।
दरअसल एक महीने पहले एक जज के साथ दिनदहाड़े लूट की घटना सामने आई थी, इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। जहां से न्यायालय ने उन्हें आरोपी मानते हुए जेल भेज दिया था। इस मामले में फरियादी शैलेंद्र नागर की और से उनके वकील मनीष यादव ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी जिस पर इंदौर हाईकोर्ट में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने सुनवाई की। फैसले पर पहुंचने से पहले अदालत ने घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज भी देखे।
हाईकोर्ट में शैलेंद्र नागर का पक्ष रखने वाले वकील मनीष यादव ने बताया, 'घटना शैलेंद्र की किराना दुकान के सामने ही हुई थी। हमने अदालत में घटना की रात के सीसीटीवी फुटेज पेश किए थे। इनमें साफ दिख रहा है कि शैलेंद्र की कार को कट मारने के बाद जज ने उन्हें रोका। वे दोपहिया वाहन से कार के पास आए। शैलेंद्र ने कार का शीशा नीचे कर उनसे बात भी की। पूरी रिकॉर्डिंग में कहीं भी लूट जैसी घटना नहीं दिख रही है। सामान्य कहासुनी और विवाद को लूट बता दिया गया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने शैलेंद्र की जमानत स्वीकार करते हुए फैसले में कहा कि सीसीटीवी में कुछ भी संदिग्ध नहीं है और मामला लूट का प्रतीत नहीं हो रहा है और अभियुक्त का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। वहीं घटनास्थल भी उसकी दुकान के ठीक सामने है। ऐसी स्थिति में अभियुक्त को जमानत दे दी गई।