रेमंड ग्रुप के लिए पिता-पुत्र में तकरार, संपत्ति वापस लेने कोर्ट जाएंगे विजयपत सिंघानिया

Edited By jyoti choudhary, Updated: 02 Jan, 2019 01:48 PM

inside the singhania father son battle for their billion dollar empire

विजयपत सिंघानिया ने 3 साल पहले रेमंड ग्रुप का स्वामित्व अपने बेटे गौतम सिंघानिया के हाथों सौंप दिया। तब उन्होंने सोचा था कि अरबों के टेक्सटाइल बिजनेस परिवार के अधीन रह जाएगा लेकिन अब वह अपने फैसले बहुत पछता रहे हैं।

नई दिल्लीः विजयपत सिंघानिया ने 3 साल पहले रेमंड ग्रुप का स्वामित्व अपने बेटे गौतम सिंघानिया के हाथों सौंप दिया। तब उन्होंने सोचा था कि अरबों के टेक्सटाइल बिजनेस परिवार के अधीन रह जाएगा लेकिन अब वह अपने फैसले बहुत पछता रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्होंने जिस बेटे को इतना बड़ा कारोबारी साम्राज्य सौंप दिया, उसी ने उन्हें न केवल कंपनी के दफ्तरों से बल्कि अपने फ्लैट से भी निकाल दिया लेकिन विजयपत को एक कोर्ट के हालिया आदेश से न्याय की उम्मीद जगी है। अब वह अपने बेटे को गिफ्ट की गई प्रॉपर्टी वापस लेने की लड़ाई लड़ना चाहते हैं। 

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अंबानी, चड्ढा और सिंह ब्रदर्स की खींचतान 
दरअसल, देश के कारोबारी घरानों में सत्ता-संघर्ष के ऐसे विकृत रूप लेने की कई अन्य घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पिता धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद मुकेश अंबानी रिलांयस ग्रुप की कंपनियों पर नियंत्रण के लिए अपने छोटे भाई अनिल अंबानी से लंबे वक्त तक लड़ते रहे। अब वह एशिया के सबसे धनी शख्सियत हैं। 

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इसी तरह, शराब और रियल एस्टेट सेक्टर की बड़ी हस्तियों पॉन्टी चड्ढा और उनके भाई हरदीप की लड़ाई पर भी विराम लग सकता था। 2012 में दोनों भाइयों ने कंपनी पर नियंत्रण को लेकर हुए झगड़े में एक-दूसरे की जान गोली मारकर ले ली थी। एक और मामला फोर्टिस वाले सिंह ब्रदर्स का भी है। अरबपति भाइयों शिविंदर सिंहऔर मालविंदर सिंह ने हाल ही में एक-दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया था। 

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छोटी कंपनी से रेमंड ग्रुप का सफर 
फिलहाल, विजयपत सिंघानिया की कहानी। 80 साल पहले छोटे स्तर पर शुरू हुआ टेक्सटाइल बिजनस धीरे-धीरे देश के घर-घर तक पहुंच गया और आज रेमंड ग्रुप का दावा है कि वह दुनियाभर में सबसे ज्यादा हाई क्वॉलिटी के ऊनी सूट्स बनाता है। ग्रुप का सीमेंट, डेयरी और टेक्नॉलजी सेक्टर में भी कारोबार चल रहा है। 

ऐसे शुरू हुआ झगड़ा 
विजयपत के लिए मुश्किलें खड़ी होनी शुरू हुईं जब उन्होंने अपने 2015 में रेमंड ग्रुप का कंट्रोलिंग स्टेक (50% से ज्यादा शेयर) अपने 37 वर्षीय पुत्र गौतम सिंघानिया को दे दिया। पारिवारिक झगड़े को समाप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2007 में हुए समझौते के मुताबिक विजयपत को मुंबई के मालाबार हिल स्थित 36 महल के जेके हाउस में एक अपार्टमेंट मिलना था। इसकी कीमत बाजार मूल्य के मुकाबले बहुत कम रखी गई थी। बाद में कंपनी गौतम सिंघानिया के हाथों आ गई तो उन्होंने बोर्ड को कंपनी की इतनी मूल्यवान संपत्ति नहीं बेचने की सलाह दी। 
 

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