संघर्ष से सफलता तक : बालिका गृह की बेटियों ने जीता अंतर्राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप में स्वर्ण

Edited By Himansh sharma, Updated: 05 Jul, 2025 09:57 AM

champion girls met minister nirmala bhuria

मध्य प्रदेश के भोपाल के बालिका गृह की कुछ खास बच्चियाँ गौरव की प्रतीक बन गई हैं।

भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल के बालिका गृह की कुछ खास बच्चियाँ गौरव की प्रतीक बन गई हैं। इन बच्चियों ने ‘फर्स्ट एशियन चेस फॉर फ्रीडम चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया और यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, हौसले अगर बुलंद हों तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। शुक्रवार को इन चैम्पियन बच्चियों ने महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया से मुलाकात की, तो माहौल भावनाओं से भर गया। आँखों में चमक, चेहरे पर आत्मविश्वास और मन में कुछ कर दिखाने की आग, हर बच्ची की मुस्कान एक नई कहानी कह रही थी।

मंत्री निर्मला भूरिया ने बच्चियों को बधाई दी और कहा कि ये सिर्फ एक जीत नहीं, ये समाज के लिए एक संदेश है कि हर बच्ची, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में जन्मी हो, अगर उसे अवसर मिले तो वह सितारों को छू सकती है।उन्होंने बच्चियों का न केवल हौसला बढ़ाया बल्कि यह भी भरोसा दिलाया कि उनके सपनों को साकार करने के लिए सरकार हरसंभव मदद करेगी। मंत्री भूरिया ने कहा कि ये बेटियाँ अब सिर्फ बालिका गृह की बच्चियाँ नहीं रहीं। अब वे प्रेरणा बन चुकी हैं, उन लाखों बच्चों के लिए, जो अपने जीवन को एक नई दिशा देना चाहते हैं।

आयुक्त महिला बाल विकास सूफिया फारुकी वली ने कहा कि इन बच्चों को प्रोत्साहन देना, इनका सबसे बड़ा सम्मान है। मिशन वात्सल्य की टीम के मोटिवेशन के साथ इन बच्चियों ने लगन और मेहनत से ये अपार सफलता प्राप्त की है। उन्होंने बच्चियों को बधाई देते हुए कहा कि आपने जीवन की निराशा को आशा में बदलकर अपने भविष्य को गढ़ा है।

उल्लेखनीय है कि 1st एशियन चेस फॉर फ्रीडम चैंपियनशिप ऑनलाइन चैंपियनशिप है। इसमें चार महाद्वीपों के 15 देशों ने भाग लिया। इंडियन ऑयल की परिवर्तन प्रिजन टू प्राइम के तहत इन बच्चियों को चेस खेल का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक  अभिजीत कुंटे ने बताया कि पहली बार जब मैं इन बच्चियों को प्रशिक्षण देने गया तो सब डरी सहमी थी, पर इनके जज्बे को सलाम है। इनकी लगातार 3-6 महीने की मेहनत ने इन्हें चैंपियन बना दिया है। श्री कुंटे ने कहा कि अब बालिकाएं अक्टूबर में वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेंगी।

इस मुलाक़ात में बच्चियों ने बताया कि कैसे शतरंज ने उन्हें धैर्य, रणनीति और आत्मविश्वास सिखाया। वे चाहती हैं कि आने वाले समय में वे और भी बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लें और देश के लिए खेलें। उनकी देखभाल में जुटे प्रशिक्षकों और बाल संरक्षण अधिकारियों की आँखों में भी गर्व और संतोष था, मानो उनके प्रयासों को आज असली मुकाम मिला हो।

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