MP को होगा ट्रंप टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान.. कॉटन उद्योग को होगा जबरदस्त घाटा!

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 30 Aug, 2025 02:16 PM

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का असर अब मध्य प्रदेश के कपास और टेक्सटाइल उद्योग पर भी साफ दिखने लगा है। वर्तमान में प्रदेश से अमेरिका को लगभग 3546 करोड़ डॉलर का टेक्सटाइल और अपैरल निर्यात होता है, जो राज्य के कुल निर्यात का 26...

भोपाल: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का असर अब मध्य प्रदेश के कपास और टेक्सटाइल उद्योग पर भी साफ दिखने लगा है। वर्तमान में प्रदेश से अमेरिका को लगभग 3546 करोड़ डॉलर का टेक्सटाइल और अपैरल निर्यात होता है, जो राज्य के कुल निर्यात का 26 फीसदी है। लेकिन 50 फीसदी टैरिफ लगने के बाद यह निर्यात घटकर 1500 करोड़ डॉलर तक सिमटने का अनुमान है। इससे प्रदेश के कपास उद्योग और टेक्सटाइल मिलों पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।

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क्वालिटी के दम पर बनी पहचान
MP एसोसिएशन ऑफ कॉटन प्रोसेसर्स एंड ट्रेडर्स के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल ने कहा कि अमेरिकी बाजार में भारतीय टेक्सटाइल्स की पहचान पिछले 5-6 सालों में क्वालिटी और डिजाइन की वजह से बनी है। चीन सहित अन्य देशों की तुलना में भारतीय उत्पादों को ज्यादा पसंद किया जाने लगा है।

नए बाजारों से उम्मीद
व्यापारियों की नजर अब अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों पर है। ब्रिटेन के साथ ड्यूटी फ्री एग्रीमेंट हो चुका है, जबकि अन्य देशों से भी समझौते की कोशिश की जा रही है। सरकार ने फिलहाल टेक्सटाइल निर्यात पर 11% ड्यूटी फ्री आयात सुविधा दी है, जिससे उद्योगपति नए बाजारों की तलाश में जुटे हैं।

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कपास उत्पादन में मध्यप्रदेश अव्वल
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है। इस साल लगभग 3 करोड़ 15 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है। अकेले मध्यप्रदेश में 19 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान है, जिसमें खरगोन जिला पहले स्थान पर है। खरगोन मंडी से ही करीब 2.8 लाख गांठ आती हैं।

उद्योगपतियों की चिंता
टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन के प्रदेश सचिव एमसी रावत के मुताबिक, 50 फीसदी टैरिफ से निर्यात पर बड़ा असर होगा। एक्सपोर्ट को हमें दूसरे देशों की ओर शिफ्ट करना पड़ेगा। लेकिन नए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स और बाजार तलाशने में कुछ महीने का समय लग सकता है।

केंद्र सरकार का फैसला और नई चुनौती
इसी बीच भारत सरकार ने कपास (HS 5201) पर जीरो इंपोर्ट ड्यूटी की अवधि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी है। पहले यह छूट 30 सितंबर तक थी। माना जा रहा है कि यह फैसला वैश्विक दबाव और व्यापार समीकरणों को देखते हुए लिया गया है। लेकिन इससे घरेलू किसानों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। विदेशी कपास के सस्ता आने से किसानों की आमदनी घटेगी, वहीं उद्योग भी प्रतिस्पर्धा की नई चुनौती का सामना करेंगे।

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किसानों पर सीधा असर
मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र – खरगोन, खंडवा, बड़वानी, धार, बुरहानपुर, रतलाम कपास उत्पादन का गढ़ हैं। वहीं, इंदौर, खरगोन, देवास और उज्जैन टेक्सटाइल उद्योग के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में अमेरिकी टैरिफ और जीरो इंपोर्ट ड्यूटी दोनों मिलकर किसानों और उद्योगपतियों के सामने दोहरी चुनौती खड़ी कर रहे हैं। उपभोक्ताओं को भले ही सस्ती दर पर कपास और कपड़े मिल सकें, लेकिन किसानों की चिंता और नुकसान दोनों बढ़ते जा रहे हैं।


 

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