Edited By Himansh sharma, Updated: 11 Aug, 2025 02:30 PM

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 11 अगस्त को भोपाल के रवींद्र भवन में "पर्यावरण से समन्वय" संगोष्ठी-सह प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया।
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 11 अगस्त को भोपाल के रवींद्र भवन में "पर्यावरण से समन्वय" संगोष्ठी-सह प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस दौरान लोक निर्माण विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों पर केंद्रित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर सीएम डॉ. यादव ने कहा कि पर्यावरण से समन्वय और लोक निर्माण एक प्रकार से सूर्य और चंद्र के समान है। समन्वय में सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। इंजीनियर अपने तकनीकि ज्ञान और उपलब्ध संसाधनों के साथ ज्ञान को विज्ञान की ओर लेकर जाते हैं। भारत में स्थापत्य कला वर्षों पुरानी है। इसी आधार पर भोपाल में बड़े तालाब की संरचना बनी है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में ऐसे कई प्रयोग हुए हैं, जिनमें सड़कों के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखा गया है। देश में 20 से 25 साल पहले ऐसे मकान बनते थे, जो हर मौसम में पर्यावरण के अनुकूल होते थे। वर्तमान समय में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास कार्यों में गुणवत्ता और लागत का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। राज्य सरकार निर्माण कार्यों में शुचिता और पारदर्शिता के साथ कार्य कर रही है। प्रदेश में बनाई जा रही सड़कों के निर्माण में लोक निर्माण विभाग नए-नए प्रयोगों के साथ काम कर रहा है। इसमें मिट्टी की प्रकृति के आधार को भी शामिल किया गया है। जहां मिट्टी की क्षमता कमजोर है, वहां डामर के स्थान पर सीसी रोड बनाई जा रही हैं।
ये है जीवन का सूत्र
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के आज 60 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। हमारे पिंड को 'यत पिंडे तत ब्रह्मांडे' भी कहा जाता है। हमारे शरीर की उपयोगिता और सीमा को न कोई बढ़ा सकता है, न कोई घटा सकता है। हमारी एक दिन की जिंदगी में 1 लाख कोशिकाएं मरती हैं, तब हमें जीवन मिलता है। प्रकृति के साथ समन्वय के लिए हमारे सभी विभाग लीक से हटकर सोचने की दृष्टि अपनाएं।