Edited By meena, Updated: 26 Jul, 2025 08:57 PM

जबलपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील न्यायालय की न्यायिक मजिस्ट्रेट पूर्वी तिवारी ने एक ऐसे ही फैसले को लिखकर चर्चा बटोरी है...
जबलपुर (विवेक तिवारी) : न्यायिक फैसले अगर कसौटी पर खरे उतरे तो स्वयं नजीर बनाकर पेश आते हैं। लेकिन फैसलों को लिखने के लिए दूरदर्शिता के साथ बेहतरीन न्यायिक सूझबूझ का होना बेहद आवश्यक है। जबलपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील न्यायालय की न्यायिक मजिस्ट्रेट पूर्वी तिवारी ने एक ऐसे ही फैसले को लिखकर चर्चा बटोरी है। खास बात यह है कि यह फैसला उन्होंने अपने जन्मदिन के अवसर पर दिया और यह फैसला दुर्लभ और निरीह प्राणियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। आपको बता दें कि न्यायाधीश पूर्वी तिवारी जबलपुर जिले से ताल्लुक रखती हैं और मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में इन्होंने संपूर्ण मध्य प्रदेश में प्रथम स्थान अर्जित करके मध्य प्रदेश को गौरव प्रदान किया था। अब जिस मामले की हम चर्चा कर रहे हैं जिस पर यह बड़ा फैसला आया है वह कुछ इस तरह है।
शिकारियों को मिली शिकार करने की सजा
कटनी वनमंडल के वन परिक्षेत्र ढीमरखेड़ा के अन्तर्गत बीट सैलारपुर में वर्ष 2016 में भितरीगढ़ तालाब नहर के पास सैलारपुर निवासी इन्दल सिंह गौड़ से लगभग 3 किलो पेंगोलीन (सालू) स्केल जप्त किए गये थे, जो आरोपी के पेंगोलीन का शिकार कर वन्यप्राणी के शरीर को उबालकर प्रथक किए गये थे। आरोपी इंदल सिंह की निशानदेही पर अपराध में लिप्त अन्य 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। जिसका परिवाद न्यायालय प्रथम श्रेणी ढीमरखेड़ा के समक्ष पेश किया गया। इन आरोपियों द्वारा अंतर्राज्यीय स्तर पर अपराध को अंजाम दिया गया था, जिन्हें मध्य प्रदेश के कटनी, टीकमगढ़, पन्ना तथा उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में शासन द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजन मंजुला श्रीवास्तव एवं ए.डी.पी. ओ. विनोद पटेल द्वारा प्रकरण में पैरवी की गई, जिसमें शुक्रवार 25 जुलाई को ढीमरखेड़ा न्यायालय की प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट पूर्वी तिवारी द्वारा समस्त 15 आरोपियों को 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 40 हजार से 10 हजार रूपये तक कुल 3 लाख 80 हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया गया।
इन आरोपियों की मिली सजा
प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट पूर्वी तिवारी द्वारा इंदल वल्द रामप्रसाद गौड़, रामसिंह वल्द सुरजबली सिंह, संतान वल्द तुलसी गौड़, सुरेन्द्र उर्फ मुण्डा वल्द रामसिंह गौड़, अजीत वल्द रेवा सिंह, दरयाल सिंह बल्द मंगी सिंह, राजू वल्द जुगराज सिंह, जयसिंह वल्द मुंशी सिंह, प्रताप वल्द शीतल गौड, मंतू वल्द अच्छेलाल गौड़, राजेन्द्र वल्द गुल्जार सिंह, गुमान वल्द धूप सिंह, मलखान वल्द मिलाप सिंह, राजेन्द्र कुचबंदिया वल्द गयादीन कुचबंदिया, शोभरन उर्फ बल्लू वल्द शीतल कुचबंदिया को सश्रम कारावास तथा जुर्माने से दंडित किया गया।

न्यायाधीश के न्यायिक दृष्टिकोण ने बदली तस्वीर
न्यायाधीश पूर्वी तिवारी ने फैसले में उल्लेख किया कि यह निर्विवादित है कि पशु एवं वन्य प्राणी संपदा के संबंध में भारत एक अत्यधिक धनी देश है, जहां कुछ दुर्लभ प्रजातियां पहले से ही पृथ्वी से लुप्त हो चुकी हैं और कुछ प्रजातियां अन्य खतरे के निशान पर पहुंच चुकी हैं। यदि शीघ्र ही सुशासनक उपाय नहीं निकाले गए, तो बची हुई दुर्लभ प्रजातियां भी पूर्ण रूप से विलुप्त हो जाएंगी। वर्तमान समय में न्यायालय के समक्ष वन्य प्राणियों के संरक्षण, उनके विरुद्ध घटित अपराध का संज्ञान एवं ऐसे अपराधियों के प्रति दण्डात्मक कार्यवाही किया जाना सर्वाधिक बड़ी चुनौती है, जिस संबंध में न्यायालय को पुष्टि के नियम का दृढ़तापूर्वक पालन करते हुए, वन्य प्राणियों के संरक्षण विधि के उद्देश्य को विफल होने की संभावना से बचाना चाहिए। आज के युग में एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक होने का नाते हम सभी का यह कर्तव्य है कि वह प्रकृति को छेड़छाड़ न करते हुए, वन एवं वन्य प्राणी संपदा को संरक्षित करने का संकल्प लें और उनके प्रति हुए अपराधों के विरुद्ध आवाज उठाएं। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो शीघ्र ही दुर्लभ वन्य प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी, जिसकी प्रतिपूर्ति किसी भी रूप में संभव नहीं होगी।

कविता की चंद लाइनों से जीव संरक्षण का बड़ा संदेश
वर्तमान समय में वन्य जीव प्राणियों के प्रति बढ़ते अपराध को दृष्टिगत रखते हुए निम्न पंक्तियों को उद्धृत करना प्रासंगिक है।
हम सभी की आत्मा पर ये बोझ निरंतर बढ़ रहा है॥
बावजूद निरीह प्राणियों की सुरक्षा के लिए कौन लड़ रहा है॥
इस धरा पर सभी को जीने का अधिकार है बराबर॥
जीव–जन्तुओं को खत्म न करो, प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है॥’
हर एग्जाम में रही है न्यायाधीश पूर्वी तिवारी टॉपर
मध्य प्रदेश सिविल जज एग्जाम में टॉप करने वाली पूर्वी तिवारी ने अपनी शिक्षा दीक्षा जबलपुर से प्राप्त की है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से इन्होंने बी ए एलएलबी ऑनर्स में टॉप किया इसके बाद एल एल एम की परीक्षा में भी गोल्ड मेडल हासिल कर संस्कारधानी का नाम रोशन किया। कुशाग्र बुद्धि की पूर्वी तिवारी की छवि एक न्यायप्रिय न्यायाधीश के रूप में पहचानी जाती है। ढीमरखेड़ा न्यायालय में पोस्टिंग के पहले आप बैतूल और सनावद में कई बड़े फैसले दे चुकी हैं जो चर्चा में रहे है।