Edited By Jagdev Singh, Updated: 05 Apr, 2020 12:54 PM
मध्य प्रदेश की पूर्व ,सरकार में मंत्री कमलेश्वर पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। वहीं अपने पत्र में उन्होंने लिख है कि लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश के और विशेष रूप से सिहावल विधान सभा, सिंगरौली एवं सीधी जिलों के कामगार जो अन्य...
भोपाल (इजहार हसन खान): मध्य प्रदेश की पूर्व ,सरकार में मंत्री कमलेश्वर पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। वहीं अपने पत्र में उन्होंने लिख है कि लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश के और विशेष रूप से सिहावल विधान सभा, सिंगरौली एवं सीधी जिलों के कामगार जो अन्य प्रदेशों से अपने घर नहीं आ पा रहे हैं। इनके रहने, भोजन स्वास्थ्य परीक्षण आदि की व्यवस्था के लिए और लॉक डाउन के बाद उनको सकुशल घर वापसी के इंतजाम करने के लिए पूर्व पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर आवश्यक कदम उठाने के लिए आग्रह किया है।
पटेल ने सिहावल विधानसभा, सिंगरौली और सीधी जिलों के मजदूरों की एक सूची भी अपने पत्र के साथ मुख्यमंत्री को उपलब्ध कराई है। सिर्फ चार घंटे के समय देकर लॉक डाउन करने के बाद पंजाब , दिल्ली उत्तर प्रदेश गोवा महाराष्ट्र तमिलनाडु पंजाब केरल राजस्थान छत्तीसगढ़ तमिलनाडु तेलंगाना कर्नाटक एवं अन्य राज्यों में सैकड़ों कामगार फंसे रह गए हैं । उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संबंधित राज्यों से आग्रह के बावजूद इन कामगारों के लिए उचित व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं । उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने पत्र में आग्रह किया है कि इन राज्यों में फंसे हुए कामगारों के भोजन रहने आदि की व्यवस्था के साथ बेहतर स्वास्थ्य परीक्षण की अवस्थाएं सुनिश्चित करवाने की विशेष व्यवस्था करवाने के लिए भी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।
गांवो में कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए ग्राम पंचायतों को आवश्यक इंतजाम करने के लिए 14वें वित्त आयोग की दूसरी किश्त के लगभग 18 सौ करोड़ रुपए उन्हें तत्काल दिए जाने चाहिए। इससे संबंधित ग्राम पंचायतें कोरोना को रोकने के इंतजाम कर पाने में सक्षम होंगी। पूर्व पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल ने इस आशय का एक पत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखकर उनसे आग्रह किया है कि पंचायतों को जितनी जल्दी हो पैसे उपलब्ध कराएं। कमलेश्वर पटेल ने पत्र में कहा कि ग्राम पंचायतों को ₹30000 की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। यह राशि कोरोना महामारी से निपटने के लिए नाकाफी है । इसे बढ़ाकर कम से कम एक लाख किया जाना चाहिए । यह राशि अपर्याप्त होने के साथ साथ अभी तक के पंचायतों को मिली भी नहीं है।