एक गांव ऐसा भी, जहां अपने पिता को ही नहीं पहचानते बच्चे

Edited By Prashar, Updated: 10 Jun, 2018 11:41 AM

manki village s child are unknown about their father in mp

देश का एक ऐसा गांव जिसे ‘मिसिंग फादर्स’ के नाम से भी जाना जाता है। मिसिंग फादर्स यानी गायब पिता। 513 लोगों की जनसंख्या वाले गांव के इस नाम के पीछे का कारण भी बहुत बड़ा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के पन्ना जिला के मनकी गांव की। इस गांव के...

पन्ना : देश का एक ऐसा गांव जिसे ‘मिसिंग फादर्स’ के नाम से भी जाना जाता है। मिसिंग फादर्स यानी गायब पिता। 513 लोगों की जनसंख्या वाले गांव के इस नाम के पीछे का कारण भी बहुत बड़ा है। दरअसल हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के पन्ना जिला के मनकी गांव की। इस गांव के ज्यादातर बच्चे अपने ही पिता का नाम नहीं जानते हैं। क्योंकि गांव के हालात कुछ ऐसे है कि बच्चे अपने पिता से दूर रहने को मजबूर हैं।

बाहरी राज्यों में रहते हैं 75 फीसदी पुरुष
सूखे से प्रभावित इस गांव के करीब 75 फीसदी पुरुष गांव से बाहर रहते हैं। वे अकसर दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में नौकरियों की तलाश में निकल जाते हैं औऱ कई सालों बाद घर वापस लौटते हैं। कई तो ऐसे होते हैं जिनके घर से निकलने के बाद बच्चे होते हैं और कई सालों बाद जब वे घर लौटते हैं तब तक वे बड़े हो चुके हो है। ऐसे में बच्चे भी अपने पिता को नहीं पहचान पाते हैं।

गांव में अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई
इस गांव में काफी समय से अच्छी बारिश नहीं हुई है, जिस वजह से यह सूखे की चपेट में आ गया। यहां पानी की कमी होने से खेती करना भी असंभव है। जिसके चलते यहां के पुरूषों को परिवार का पालन पोषण करने के लिए बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है।

महिलाएं भी गांव छोड़ने को मजबूर
गांव की स्थिती कुछ इस तरह की हो चली है कि अब तो महिलाएं भी गांव छोड़कर अपने पतियों के साथ काम की तलाश में शहरों की ओर प्रस्थान कर रही हैं।

गर्भावस्था में भी करना पड़ता है काम
घर का खर्चा चल सके इसके लिए महिलाएं गर्भवती अवस्था में भी काम करना नहीं छोड़तीं। वह 7वें और 8वें महीने में भी काम करती हैं। जब उनके प्रसव का समय आता है तभी वह गांव लौटती हैं। वहीं, बच्चे जैसे ही थोड़े बड़े होते हैं तो उन्हें गांव में अन्य परिवारजनों के पास छोड़ दिया जाता है।

स्वास्थ्य सुविधाओं से कोसों दूर है गांव
गांव की ही 32 वर्षीय एक महिला हाल ही में अजमेर से गांव लौटी है। उसका कहना है कि वह भी अपने पति के साथ निर्माणाधीन स्थानों पर काम करती थी। लेकिन वह गर्भवती है और उसका सातवां महीना चल रहा है जिस कारण वह गांव आई है। वह अपने 9वें बच्चे को जन्म देने वाली है। पूर्ण स्वास्थय सुविधा ना होने के कारण वह आठ में से चार बच्चों को खो चुकी है।

गांव में प्रसव सुविधा का भी कोई इंतजाम नहीं
मनकी गांव की महिलाओं को सुरक्षित प्रसव की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिसका खामियाजा उन्हें और उनके होने वाले बच्चों को भुगतना पड़ता है। गांव में कोई दाई भी नहीं है और उन्हें किसी अस्पताल में भी नहीं ले जाया जा सकता। इसका कारण अस्पतालों का गांव से काफी दूर होना और पुरुषों का घर पर ना होना है। इसलिए घर की महिलाओं को ही डिलीवरी करनी पड़ती है।

स्थानान्तरण को मजबूर ग्रामीण
राज्य में विस्थापन का आंकड़ा देखा जाए तो वह 2011 में 1,85,00,000 था। जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 50,00,000 रहा। इस गांव की महिलाओं का कहना है कि रोजी रोटी कमाने के लिए स्थानान्तरण ही एकमात्र रास्ता है। बच्चों का जन्म होते ही महिलाएं दोबारा शहरों की ओर लौट जाती हैं और निर्माण स्थलों पर काम करना शुरू कर देती हैं।

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