बाबा साहेब आंबेडकर ने कभी अनुच्छेद 370 को स्वीकार नहीं किया : मोहन यादव

Edited By meena, Updated: 14 Apr, 2025 07:58 PM

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को बाबासाहब आंबेडकर की जयंती पर उन्हें याद किया...

भोपाल : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को बाबासाहब आंबेडकर की जयंती पर उन्हें याद किया और कहा कि संविधान निर्माता ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को कभी स्वीकार नहीं किया। यादव ने महान समाज सुधारक की जन्मस्थली महू में एक कार्यक्रम में कहा कि बाबासाहब आंबेडकर के उल्लेखनीय प्रयासों ने एक हजार साल की गुलामी की विसंगतियों को दूर किया और इनके आधार पर भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया है। यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को खत्म करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके अधिकार वापस दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बाबासाहब आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 को कभी स्वीकार नहीं किया। उनका योगदान बहुआयामी है। उन्होंने भारत के लिए भविष्य की चुनौतियों को महसूस किया। बाबासाहब आंबेडकर ने अपने संघर्ष से सीखा और दूसरों की मदद की।''

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने समाज के उत्थान के लिए जिस तरह का काम किया, वह पहले कभी नहीं देखा गया और संविधान द्वारा प्रदान किए गए आरक्षण ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समेत समाज के हर वर्ग की मदद की है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों के बीच साक्षरता दर कभी केवल 1.5 प्रतिशत थी लेकिन आज वह 59 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. आंबेडकर से जुड़े सभी स्थलों को पंचतीर्थ के रूप में मान्यता दी। महू में भीम जन्मभूमि को तीर्थ के रूप में विकसित करने में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा और शिवराज सिंह चौहान का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। राज्य सरकार भीम जन्मस्थल महू में धर्मशाला निर्माण के लिए 3.5 एकड़ जमीन देगी, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा होगी।'' उन्होंने डॉ. आंबेडकर कामधेनु योजना से प्रदेश के किसानों के समृद्ध होने का दावा करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कोई व्यक्ति डेयरी खोलता है तो उसे सरकार की ओर से 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

यादव ने कहा, ‘‘लंदन में डॉ. आंबेडकर का भव्य स्मारक बनाया गया है। यहीं पर उन्होंने शिक्षा ग्रहण की थी। यह आवासीय क्षेत्र है। अंग्रेजों ने इस कदम का विरोध किया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से स्मारक का निर्माण हो सका।'' इस अवसर पर लेखक एवं विचारक मुकुल कानिटकर ने 1891 में महू में आंबेडकर के जन्म को ‘‘क्रांतिकारी सूर्य का उदय'' बताया। सन्1916 में डॉ. आंबेडकर ने 27 वर्ष की आयु में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त की थी। कानिटकर ने कहा,‘‘कोलंबिया विश्वविद्यालय में केवल एक ही प्रतिमा है। वह बाबासाहब आंबेडकर की है। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी और समाजशास्त्र एवं मानवशास्त्र में एमए किया था। उस समय वह दुनिया में सबसे अधिक डिग्रियों वाले व्यक्ति थे।''

कानिटकर ने कहा कि आंबेडकर किसी जाति या धर्म के नहीं बल्कि पूरे समाज के नेता थे, जिन्होंने समाज को रूढ़िवाद से दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार किया। उन्होंने कहा कि बाबासाहब के विचारों का अध्ययन हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। इस अवसर पर यादव एवं मंचासीन अतिथियों ने 'संविधानिक सामाजिक न्याय: एक चिंतन' पुस्तक का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर, भाजपा सांसद कविता पाटीदार, पूर्व मंत्री एवं विधायक उषा ठाकुर भी शामिल हुईं। 

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