Edited By meena, Updated: 21 Feb, 2025 08:29 PM
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अगर आप भी डिलीवरी के बाद एलपीजी सिलेंडर को सिर्फ रेग्यूलेटर लगाने वाले स्थान पर चैक कर संतुष्ट हो जाते हैं...
गुना (मिस्बाह नूर) : अगर आप भी डिलीवरी के बाद एलपीजी सिलेंडर को सिर्फ रेग्यूलेटर लगाने वाले स्थान पर चैक कर संतुष्ट हो जाते हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि सिलेंडर लीकेज होने की संभावना सिर्फ ऊपरी हिस्से तक ही नहीं बल्कि उसके निचले हिस्से (तल) में भी हो सकती है। दरअसल, गुना जिले के डोंगर स्थित बॉटलिंग प्लांट में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। कह सकते हैं कि आईओसीएल के बॉटलिंग प्लांट की लापरवाही किसी ग्राहक के लिए जानलेवा साबित हो सकती थी।
पूरा वाकया 17 फरवरी 2025 का है। इस दिन डोंगर बॉटलिंग प्लांट से रोजाना की तरह वाहन में सिलेंडर भरकर गैस एजेंसियों को भेजे गए थे। सिलेंडरों से भरा एक वाहन गुना जिले के बीनागंज स्थित सोडानी गैस एजेंसी भी पहुंचा। बॉटलिंग प्लांट के कर्मचारी सिलेंडर डिलेवर कर लौट आए। लेकिन गैस एजेंसी पर मौजूद स्टाफ को कुछ संदेह हुआ। छानबीन करने पर पता चला कि एक सिलेंडर की तलहटी लीक हो रही है। छेद इतना बड़ा था कि उसमें से निकलने वाली एलपीजी की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी। सूत्रों के मुताबिक गैस एजेंसी संचालक ने तुरंत बॉटलिंग प्लांट के अधिकारियों से संपर्क किया तो उनके भी हाथ-पैर फूल गए। आनन-फानन में एजेंसी को सलाह दी गई कि लीकेज सिलेंडर को थोड़ी दूर रख दें, ताकि कुछ देर में अपने आप गैस निकल जाएगी। एजेंसी संचालक ने निर्देशों का पालन किया और कुछ घंटों में सिलेंडर खाली भी हो गया। हालांकि सवाल यह उठता है कि अगर लीकेज सिलेंडर किसी ग्राहक के घर पहुंचा दिया जाता तो क्या होता? हमेशा की तरह ग्राहक ज्यादा से ज्यादा सिलेंडर का मुंह चैक करता और अपने घर में इस्तेमाल करने लगता। घटनाक्रम सामने आने के बाद बॉटलिंग प्लांट के अधिकारी इस मामले में लीपापोती करने में जुटे हैं और इसे छोटी-मोटी बात मान रहे हैं।
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तो क्या चैक नहीं किए जा रहे हैं सिलेंडर
डोंगर बॉटलिंग प्लांट से संबंधित घटना के बाद तमाम गैस एजेंसी संचालक चिंतित हैं। धीरे-धीरे मामले की जानकारी अन्य एजेंसी संचालकों को भी मिल रही है। लेकिन अधिकारी गलती नहीं मान पा रहे हैं। आशंका जाहिर की जा रही है कि बॉटलिंग प्लांट में सिलेंडर भरने के बाद शायद उन्हें चैक नहीं किया जा रहा है। अन्यथा इस तरह की भयंकर भूल नहीं होती। नियमानुसार सिलेंडर रवाना करने से पहले उन्हें चैक करना आवश्यकता होता है। अगर कोई सिलेंडर लीक हो रहा है तो उसे रवाना नहीं कर सकते।
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रोजाना रिफिल होते हैं 25 हजार सिलेंडर
जानकारी के मुताबिक, गुना के डोंगर स्थित बॉटलिंग प्लांट में रोजाना लगभग 25 हजार सिलेंडरों को रिफिल किया जाता है। दरअसल, आईओसीएल के इस बॉटलिंग प्लांट से प्रतिदिन 80 से 100 वाहनों में सिलेंडर भरकर जिलेभर की एजेंसी को रवाना जाते हैं। एक वाहन में 342 सिलेंडर आते हैं। इतनी बड़ी तादाद में सिलेंडर रिफिल होने के बावजूद प्लांट में सुरक्षा और गुणवत्ता जांचने की प्रक्रिया में लापरवाही बरती जा रही है।
5 किलोमीटर दूर ही है गेल इंडिया
बॉटलिंग प्लांट की लापरवाही की खबरें यहां लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित गेल इंडिया के अधिकारियों को भी चिंतित कर सकती हैं। जाहिर है एक सिलेंडर ही कई लोगों को नुकसान पहुंचा जा सकता है। ऐसे में रोजाना बॉटलिंग प्लांट के सामने से गुजरने वाले अधिकारी-कर्मचारी या फिर गेल परिसर तक लापरवाही की लपटें पहुंच सकती है।
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कहीं गुना में भी न हो जाए वड़ोदरा जैसा हादसा
बॉटलिंग प्लांट में हल्की सी लापरवाही कितनी घातक साबित हो सकती है। इसके उदाहरण बीते दिनों गुजरात के वड़ोदरा और उत्तरप्रदेश के मथुरा में सामने आ चुके हैं। वड़ोदरा के कोयली गांव स्थित आईओसीएल के बॉटलिंग प्लांट में 11 नवम्बर 2024 को स्टोरेज टैंक में भीषण आग लग गई थी। इस दौरान जोरदार धमाका हुआ और प्लांट से लगभग 4 किलोमीटर दूर तक रहने वाले लोगों ने झटके महसूस किए थे। टैंक से निकला धुआं 10 किलोमीटर दूर तक देखा गया। हादसे की वजह रख-रखाव में लापरवाही बरतना सामने आई थी।