Edited By Vikas kumar, Updated: 08 Nov, 2018 03:13 PM
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति की घोषणा कर दी है। प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियां अभी तक 376 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी हैं। जहां बी...
भोपाल: प्रदेश में विधानसभा चुनाव में नामांकन प्रक्रिया 9 नवंबर को खत्म हो रही है। नामांकन के दौरान दिए गए शपथ पत्रों में सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति की घोषणा कर दी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म और एमपी इलेक्शन वॉच ने कांग्रेस के 171 और भाजपा के 177 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण किया। ये हलफनामे 4 नवंबर तक भरे गए थे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के मुताबिक, इनमें से कांग्रेस के 72 फीसदी और भाजपा के 71 फीसदी करोड़पति प्रत्याशियों को दोबारा चुनाव में उतरने का मौका दिया है।
प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियां अभी तक 408 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी हैं। जहां बीजेपी ने 226 तो कांग्रेस ने 184 प्रत्याशियों को मैदान में उतारे हैं। एडीएआर की मानें तो इन 408 प्रत्याशियों में कटनी जिले के विजयराघवगढ़ के बीजेपी विधायक संजय पाठक सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। बीते विधानसभा चुनाव 2013 में भी संजय पाठक ही सबसे अमीर प्रत्याशी रहे थे।
पिछले बार हुए 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 350 प्रत्याशी करोड़पति थे, जिनमें से बीजेपी के 86, कांग्रेस के 49, और बीएसपी के 6 प्रत्याशी प्रमुख हैं। 2013 में इन सभी प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 5 करोड़ रुपए थी।
ये हैं करोड़पति विधायक...
बीजेपी उम्मीदवार...
- संजय पाठक - विजयराघवगढ़ - 121 करोड़
- चेतन कश्यप - रतलाम सिटी - 120 करोड़
- सुरेंद्र पटवा - भोजपुर - 38 करोड़
- गायत्री राजे पवार - देवास - 27 करोड़
- मोहन यादव - उज्जैन दक्षिण - 16 करोड़
कांग्रेस के उम्मीदवार...
- संजय शर्मा - तेंदूखेड़ा - 65 करोड़
- के पी सिंह - पिछोर - 60 करोड़
- आलोक चतुर्वेदी - छतरपुर - 26 करोड़
- अजय सिंह - चुरहट - 25 करोड़
- सचिन यादव - कसरावद - 23 करोड़
दोनो पार्टियों में दागी उम्मीदवारों को भी टिकट...
इस चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी ने दागी उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है। बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस में दागी उम्मीदवारों की संख्य़ा ज्यादा है। भाजपा के जहां 36 उम्मीदवारों पर मामले दर्ज हैं, वहीं कांग्रेस के 67 उम्मीदवारों पर केस दर्ज हैं। एडीआर की रिपार्ट के मुताबिक, भाजपा ने 22 प्रतिशत आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने 41 प्रतिशत आपराधिक प्रवृत्ति वालों को उम्मीदवार बनाया है।