Edited By meena, Updated: 21 Aug, 2025 07:51 PM

अतिक्रमण के कारण ना तो बच्चे खेल पा रहे थे और ना ही भविष्य में कोई विकास संभव हो पा रहा था...
धमधा (हेमंत पाल) : दुर्ग जिले के अंतर्गत आने वाले धमधा ब्लॉक के ग्राम बिरोदा में प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। शासकीय भूमि पर वर्षों से चल रहे अतिक्रमण के खिलाफ यह कदम ग्राम पंचायत की बैठक में सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के बाद उठाया गया। कार्रवाई के दौरान प्रशासनिक टीम भारी पुलिस बल के साथ मौके पर मौजूद रही, जिससे संपूर्ण प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सकी।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में सतनाम समाज द्वारा ग्राम बिरोदा में गुरु घासीदास जी की जैंत खाम के आसपास की शासकीय भूमि को घेरकर अर्ध-स्थायी निर्माण कर लिया गया था। यह भूमि मूल रूप से गांव के बच्चों और युवाओं के लिए खेल मैदान के रूप में चिन्हित की गई थी। अतिक्रमण के कारण ना तो बच्चे खेल पा रहे थे और ना ही भविष्य में कोई विकास संभव हो पा रहा था।
अब, अतिक्रमण हटाए जाने के बाद ग्राम पंचायत ने इस भूमि को पुनः खेल मैदान के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। इससे न केवल गांव के युवाओं को लाभ मिलेगा, बल्कि सार्वजनिक उपयोग की भूमि का पुनः उद्देश्यपूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।

धार्मिक स्थल ही नहीं, कई घरों पर भी चला बुलडोजर
कार्रवाई केवल धार्मिक स्थल के अतिक्रमण तक सीमित नहीं रही। कुछ स्थानीय निवासियों द्वारा शासकीय ज़मीन पर मकान और दीवारें बनाकर निजी उपयोग किया जा रहा था। प्रशासन ने इन अवैध निर्माणों पर भी बुलडोज़र चलाया, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में स्पष्ट संदेश गया कि अब शासकीय भूमि पर कोई भी प्रकार का कब्ज़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस अहम कार्रवाई के दौरान धमधा तहसीलदार मीना साहू, जनपद सीईओ किरण कुमार, थाना प्रभारी युवराज साहू, पटवारी, पंचायत सचिव सहित राजस्व और पंचायत विभाग के अन्य कर्मचारी मौके पर मौजूद रहे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया था।
ग्रामवासियों ने जताया समर्थन, प्रशासन की कार्यवाही को बताया स्वागत योग्य कदम
ग्राम बिरोदा के कई बुज़ुर्गों और युवाओं ने इस कार्रवाई का खुले दिल से समर्थन किया। उनका कहना है कि जनहित की जमीन पर कब्ज़ा कर लेना ना सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि भविष्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। ग्राम पंचायत की बैठक में भी अधिकांश ग्रामीणों ने यही राय दी थी, जिसके बाद प्रशासन को खुला समर्थन मिला।