अत्यधिक गर्मी एवं लू से बचने के लिए नागरिक अपनायें सावधानियाँ: उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल

Edited By Himansh sharma, Updated: 11 Apr, 2025 01:34 PM

citizens should take precautions to avoid extreme heat and heat wave

धूप में निकलते समय शरीर को पूरी तरह ढंकना बेहद जरूरी है। हल्के रंग के, सूती और ढीले कपड़े पहनें ताकि गर्मी से राहत मिल सके।

भोपाल। (इजहार खान): उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने राज्य में बढ़ती गर्मी और लू की गंभीरता को देखते हुए नागरिकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकाल के समय में सभी नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बीमार व्यक्तियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। सरकार और प्रशासन पूरी तरह सतर्क और तैयार हैं। समस्त स्वास्थ्य संस्थानों को आवश्यक तैयारियों के लिए निर्देशित कर दिया गया है। उन्होंने अपील की है कि सभी नागरिक सावधानियों का अवश्य पालन करें।

प्रबंध संचालक, एनएचएम डॉ. सलोनी सिडाना प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षकों को गर्मी के दृष्टिगत स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक तैयारियों और जागरूकता के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गर्मी के मौसम में भारत सरकार द्वारा हीट  रिलेटेड इलनेस से बचाव के लिए दिशा-निर्देश को जिला व स्वास्थ्य संस्थानों को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने के लिए कहा है। साथ ही जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में इन पर चर्चा कर संबंधित विभाग प्रमुखों को भी अवगत कराने के निर्देश दिए गये हैं। उन्होंने जनसामान्य को जागरूक करने और सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में रोगियों को एचआरआई से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, आईएचआईपी पोर्टल पर प्रतिदिन एचआरआई मामलों की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है। ताकि अधिक तापमान से होने वाली बीमारियों व अवांक्षित घटनाओं को रोका जा सके।

क्या करें

हाइड्रेटेड रहना है जरूरी

गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी होना आम समस्या है, जिससे गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। नागरिको दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें, भले ही प्यास न लगे। यात्रा करते समय पानी अवश्य साथ रखें। ओआरएस, नींबू पानी, लस्सी, छाछ, फलों के रस (थोड़ा नमक मिलाकर) जैसे घरेलू पेयों का सेवन लाभकारी होता है। तरबूज, खरबूजा, संतरा, अंगूर, अनानास, खीरा जैसी मौसमी फल-सब्ज़ियों का सेवन शरीर में तरलता बनाए रखने में सहायक होता है।

शरीर को ढंककर रखें

धूप में निकलते समय शरीर को पूरी तरह ढंकना बेहद जरूरी है। हल्के रंग के, सूती और ढीले कपड़े पहनें ताकि गर्मी से राहत मिल सके। सिर को टोपी, छतरी, गमछा या पारंपरिक उपायों से ढकना चाहिए। नंगे पांव धूप में जाना भी हानिकारक हो सकता है, इसलिए चप्पल या जूते पहनना अनिवार्य है।

घर को ठंडा और सुरक्षित बनाएं

जहां तक हो सके, दोपहर के समय घर के अंदर या छांव में रहें। घर में ठंडी हवा का संचार बना रहे, इसके लिए दिन में खिड़कियां और पर्दे बंद रखें और रात में उन्हें खोल दें। यदि बाहर जाना ही हो, तो सुबह या शाम के ठंडे समय में ही जाएं। गर्मी के समय बाहरी गतिविधियों को सीमित करना आवश्यक है। घर में ठंडक बनाए रखने के लिए पर्दे, शटर या सनशेड का उपयोग करें। दिन में निचली मंजिल पर रहना ज्यादा सुरक्षित होता है। शरीर को ठंडा रखने के लिए पंखा, ठंडा पानी, गीले कपड़े, या 20°C के पानी में पैरों को डुबोना सहायक होता है।

विशेष ध्यान देने योग्य संवेदनशील वर्ग

छोटे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, मानसिक या शारीरिक बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति, और जो लोग बाहर कार्य करते हैं – ये सभी अधिक संवेदनशील होते हैं। इन लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा और देखरेख की आवश्यकता होती है। यदि कोई व्यक्ति हाल ही में ठंडे प्रदेश से गर्म प्रदेश में आया हो, तो उसे शरीर को नई जलवायु के अनुसार ढालने के लिए समय देना चाहिए।

मौसम की जानकारी रखें

रेडियो, टीवी, समाचार पत्रों से मौसम की ताज़ा जानकारी लेते रहें। मौसम की पूर्व चेतावनियों को गंभीरता से लें और उसी अनुसार अपने कार्यक्रम बनाएं।

बचाव के लिए ये गलतियां न करें

दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक बाहर न निकलें। इस समय गर्मी अपने चरम पर होती है। भारी कामकाज या शारीरिक मेहनत भी टालें। नंगे पांव बाहर न निकलें। गर्मी में खाना पकाते समय रसोई में वेंटिलेशन रखें। शराब, चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स, या अधिक मीठे पेयों से बचें, ये शरीर से तरलता कम करते हैं। बासी और भारी प्रोटीन युक्त भोजन न करें। किसी भी परिस्थिति में बच्चों या पालतू जानवरों को बंद वाहन में न छोड़ें।

श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए विशेष निर्देश

काम की जगह पर ठंडा पेयजल उपलब्ध कराना अनिवार्य है और हर 20 मिनट में पानी पीने की सलाह दी जाए। काम को सुबह-शाम के समय शेड्यूल करें। छांव की व्यवस्था करें और कार्य के बीच पर्याप्त आराम दें। नए श्रमिकों के लिए कार्य का समय धीरे-धीरे बढ़ाएं ताकि वे मौसम के अनुसार ढल सकें। श्रमिकों को गर्मी से संबंधित लक्षणों की पहचान और प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दें। ‘बडी सिस्टम’ अपनाएं और प्रशिक्षित फर्स्ट एड कर्मियों की व्यवस्था करें। गर्भवती या बीमार श्रमिकों के लिए डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है।

भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में सावधानी

खेलों या धार्मिक आयोजनों जैसे भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में अत्यधिक गर्मी और पसीने के कारण हीट रिले़टेड इलनेस (एचआरआई) की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे आयोजनों में पर्याप्त पानी, छांव और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था अनिवार्य है। उपस्थित लोगों को लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए।

गर्मी से होने वाली बीमारियां और लक्षण

अत्यधिक गर्मी से शरीर का तापमान ऊपर जा सकता है, जिससे हीट स्ट्रेस, हीट रैश, हाथ-पांव सूजना, मांसपेशियों की ऐंठन, चक्कर आना, हीट एक्सहॉशन और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे दिल, फेफड़े, किडनी जैसी पुरानी बीमारियां भी बढ़ सकती हैं। लक्षणों में चक्कर, बेहोशी, उल्टी, सिरदर्द, बहुत ज्यादा प्यास, गाढ़ा पेशाब, तेज़ सांस और दिल की धड़कन शामिल हैं। मांसपेशियों की ऐंठन होने पर तुरंत ठंडे स्थान पर आराम करें और ओआरएस पिएं। यदि ऐंठन एक घंटे से अधिक रहे तो डॉक्टर से परामर्श लें।

हीट स्ट्रोक: जानलेवा स्थिति

हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। इसमें शरीर का तापमान 40°C से ऊपर हो सकता है और व्यक्ति बेहोश, भ्रमित या चिड़चिड़ा हो सकता है। त्वचा लाल, गर्म और सूखी हो जाती है। बच्चों में संकेत: दूध न पीना, चिड़चिड़ापन, पेशाब कम होना, आंखों का धंसना, सुस्ती या झटका आना, शरीर से खून आना आदि।

तुरंत क्या करें

108 या 102 पर कॉल करें। व्यक्ति को ठंडी जगह ले जाएं। ठंडा पानी लगाएं, पंखा करें। चिकित्सा सहायता आने तक ठंडा करते रहें।

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