Edited By meena, Updated: 24 Apr, 2023 08:17 PM
बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सागर दौरे के मौके पर कार्यकर्ताओं में दिखा उत्साह उनके उलट बाद जिले की बीना विधानसभा
सागर (देवेंद्र कश्यप): बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सागर दौरे के मौके पर कार्यकर्ताओं में दिखा उत्साह उनके उलट बाद जिले की बीना विधानसभा में हुई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की आमसभा फ्लॉप शो साबित हुई। इस सभा से कांग्रेस के पक्ष में बुंदेलखंड क्षेत्र में बनने वाले बेहतर माहौल के सारे कयास धराशाही हो गए, सभा में गिने चुने कार्यकर्ता और करीब दो ढाई हजार की भीड़ ने विगत दिनों कांग्रेस संगठन में हुए बदलावों से संगठन के अंदर कार्यकर्ताओं में उपजी नाराजगी की हकीकत भी बता दी।
आखिर और क्या वजह रही होगी...
जहां प्रदेश में अन्य जिलों में ठीक ठाक समर्थन प्राप्त कर रही कांग्रेस बुंदेलखंड के द्वार और सागर जिले के बीना विधानसभा में फुस्स होती दिखाई दी, वह भी तब जबकि बीना विधानसभा के भाजपा विधायक से जनता की नाराजगी भी गाहे बगाहे सामने आती रहीं है। वैसे भी दिग्विजय सिंह कह ही गए थे कि सागर में संगठन कमजोर है।
वही सभा में कम भीड़ के बारे में जब स्थानीय कार्यकर्ताओं से पूछा गया तो वे कहते पाए गए कि जिले में कहीं भी सभा हो मंच पर सागर शहर के कांग्रेस नेता ही अतिक्रमण कर लेते है, वह ही हर जगह ठस जाते है। उनका ही सम्मान है और वह नेता बगैर जनाधार वाले भी है वह स्वयंभू नेता ही है।
हमें तो कोई स्थान ही नहीं मिलता...
इसलिए कार्यकर्ता के नाते हम सभा में आ जाते है वही ठीक है। अपने लोगों को लाकर उनके ही सामने अपना अपमान क्यों कराए। वही कमलनाथ की प्रेस कांन्फ्रेस और सभा के मंच पर जिला ग्रामीण अध्यक्ष आनंद अहिरवार को ही बैठने का मौका नहीं मिला। इस उलझन से निपटने के लिए ग्रामीण अध्यक्ष स्वयं ही मंच संचालक करने लगे जिसको लेकर भाजपा सोशल मीडिया की टीम को भी पलीता लगाने का अच्छा अवसर मिल गया।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट बीना की इस सभा में कांग्रेस आनूसूचित जाति वर्ग के कई नेता पहुंचे लेकिन या तो वह इस व्यवस्था से ख़फ़ास होकर मंच से दूर रहे या मंच के पीछे किसी कोने में खड़े दिखाई दिए। वही सागर शहर कांग्रेस से पहुंचे कई नेता मंच पर कमलनाथ के साथ फोटो खींचते दिखाई दिखे।
गौरतलब है कि बीते दिनों ही सागर की शहर और ग्रामीण दोनों जिला कमेटियों के अध्यक्ष बदले गए थे, जहां शहर अध्यक्ष का खुलकर विरोध हुआ था। वहीं ग्रामीण अध्यक्ष आनंद अहिरवार और सागर जिले के एक अन्य बड़े दलित नेता के बीच पार्टी बैठकों में हुई कहासुनी भी चर्चा का विषय बनी हुई थी। इन तमाम घटनाओं के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के सुप्रीमो कमलनाथ की यह पहली सभा थी, और उम्मीद थी कि सारे विरोध खत्म कर सभी कांग्रेसी नेताओं ने समन्वय बना लिया होगा। क्योंकि दिग्विजय सिंह सागर में समन्वय बनाने ही तो आए थे, लेकिन बीना की सभा में जिले भर के कार्यकर्ताओं की उदासीनता, नए नेताओं में नेतृत्व की कमी सहित क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को सम्मान न मिलने की पूर्वग्रसित धारणा के कारण सभा में भीड़ नहीं पहुंची।
बहरहाल यह स्पष्ट हो गया है कि कमजोर सूचना तंत्र के कारण अपनी सरकार गिरवा लेने वाले कमलनाथ को सागर संगठन के बारे सूचनाएं देने वाला तंत्र भी विफल रहा है। वह न तो निष्पक्ष है और न ही वफादार फिर चाहे वह प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से भेजे गए प्रभारीगण हो, स्थानीय नेता या भोपाल में बैठे सागर जिले पर नजर रखने वाले कमलनाथ के कथित वफादार हो।