महाशिवरात्रि पर त्रिशूल चढ़ाने से होती है सबकी मुराद पूरी, 4200 फिट की ऊंचाई पर बने चौरागढ़ मंदिर में उमड़ा जनसैलाब

Edited By meena, Updated: 01 Mar, 2022 05:38 PM

everyone s wishes are fulfilled by offering trident on mahashivratri

मध्य प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर चौरागढ़ मंदिर स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। महाशिवरात्रि पर्व पर दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए पहुंचे हैं। कोरोना काल में पिछले 2 साल से...

होशंगाबाद(सूरज सिंह राजपूत): मध्य प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर चौरागढ़ मंदिर स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। महाशिवरात्रि पर्व पर दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए पहुंचे हैं। कोरोना काल में पिछले 2 साल से यहां एक भी मेला नहीं लगा लेकिन इस बार महाशिवरात्रि पर एक बार फिर 2 साल बाद मेले शुरु हुए। इससे जहां भक्तों के चहरे पर खुशी नजर आई, वहीं कई लोगों का व्यापार भी चलने लगा। मध्य प्रदेश के आज भी करीब 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु महादेव के दर्शन करने पहुंचे।

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पचमढ़ी जितना सुंदर है उतनी ही सुंदर यहां की वादियां हैं। पर्वत और पहाड़ और चारों तरफ जंगल है। जहां देवो के देव महा देव बिराजते हैं। मध्यप्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन में कई प्राचीन मंदिर है। महादेव के जो बड़े फ़ेमस है जिसका उल्लेख प्राचीन कथाओं में आज भी किया जाता हर मंदिर की एक अलग पहचान है जैसे बड़ा महादेव गुप्त महादेव नाग द्वारी जटाशंकर चौरागढ़ ये सब पहाड़ों की गुफाओं में विराजमान है जिन्हें देख कर ऐसा लगता है मानो महादेव का कैलास पर्वत जैसा घर यहा भी मौजूद हो शासन प्रशासन के करीब हजारों कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है साथ ही कलेक्टर और जिला एसपी  भी यहां डेरा डाले हुए है। बड़े बड़े लंगर भी चल रहे सभी व्यवस्था दुरुस्त है।

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इस मंदिर के निर्माण को लेकर दो किवदंतिया जुडी हुई हैं। बताया जा रहा है कि भगवान शिव जी ने भस्मासुर से बचने के लिए इन पहाड़ियों में शरण ली थी और अपना त्रिशूल छोड़ा था। एक अन्य किवदंती के मुताबिक, इस पहाड़ी पर चोरा बाबा ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान शिव उन्हें दर्शन दिए और कहा कि इस पहाड़ी को आज से चोरागढ़ के नाम से जाना जायेगा। तभी से इस पहाड़ी को चोरागढ़ के नाम से जाना गया और भोलेनाथ के इस मंदिर का निर्माण हुआ। मान्यता है कि इस मंदिर के त्रिशूल का काफी महत्व है। यही वजह है कि हर साल हजारों भक्त मनोकामना पूरी करने के लिए यहां त्रिशूल चढ़ाते हैं

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