तर्पण-पिंडदान के लिए उज्जैन के गया कोटा तीर्थ का विशेष महत्व, पितर मोक्ष के लिए देश के कोने-कोने से आते हैं श्रद्धालु

Edited By meena, Updated: 29 Sep, 2023 04:19 PM

gaya kota tirtha of ujjain has special significance for tarpan pind daan

आज से श्राद्ध शुरु हो रहे हैं। इन 15 दिनों में उज्जैन में पितरों के मोक्ष एवं शांति के लिए श्रद्धालु बाबा महाकाल की नगरी तर्पण- पिंडदान करने आते हैं।

उज्जैन (विशाल सिंह): आज से श्राद्ध शुरु हो रहे हैं। इन 15 दिनों में उज्जैन में पितरों के मोक्ष एवं शांति के लिए श्रद्धालु बाबा महाकाल की नगरी तर्पण- पिंडदान करने आते हैं। उज्जैन में महाकाल मंदिर के आलावा भी बहुत से ऐसे मंदिर है, जिनका अपना एक अलौकिक इतिहास रहा है। जिनका जिक्र न सिर्फ इतिहास में बल्कि हिंदू पुराणों में भी मिलता है। इनमें सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गया कोटा तीर्थ मंदिर है। यह मंदिर जटेश्वर महादेव (28/84) साई राम कॉलोनी काजीपुरा में स्थित है। यहां की मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु के पुत्रों का तर्पण इसी स्थान पर करवाया था। इसी मान्यता अनुसार राज्य से ही नहीं बल्कि देश विदेश से भी यहां कई श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए आते है। पितरों के तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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देशभर से आते हैं श्रद्धालु

श्राद्ध पक्ष में उज्जैन में श्रद्धालुओं का मेला जैसा लग जाता है। मान्यता है कि देवी देवता की अपेक्षा पितरों का तर्पण पूजन का कर्म करना विशिष्ट है। भारतीय संस्कृति में पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए अपने माता-पिता तथा परिवार के अन्य मृत प्राणियों के निमित्त श्राद्ध करना, पितृ के समक्ष पूजन और तर्पण करना अनिवार्य माना गया है।

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गया कोटा का विशेष महत्व

गया कोटा एक सिद्ध तीर्थ है जहां पर हमारे पितरों के समक्ष पितृ पूजा एवं तर्पण करने से हमारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ती तो होती ही है, साथ ही यह कर्म करने से हमारे वंश और जीवन में आनंद की अनुभूति है.मन प्रसन्न होता हैं और जीवन के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता अनुसार जो गया में जाकर एक बार भी श्राद्ध तर्पण कर दे तो उसके सभी पितर सदा के लिए तृप्त हो जाते हैं। इसलिए ही उज्जैन गया कोटा तीर्थ का भी उतना ही महत्व है, जितना की बिहार के गया का महत्व है।

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गया कोटा तीर्थ में 16 चरण- पुजारी

गया कोटा तीर्थ में 16 चरण बने हुए है। एक एक चरण एक एक तिथि का है जैसे आज से पूर्णमासी के श्राद चालू हुआ है, जो अमावस्या तिथि पर खत्म होता है उसका विशेष महत्व बताया जाता है। यहां दूध, जल, तुलसी, श्रेवत, अर्पण करने से हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं। घर परिवार, धन, दौलत में उन्नति की प्रप्ति होती है।

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