MP में बाघ की 'दहाड़' बरकरार, 785 बाघों के साथ देश में शीर्ष पर, 'कान्हा' बना सर्वश्रेष्ठ आवास

Edited By Himansh sharma, Updated: 28 Jul, 2025 08:01 PM

the roar of tigers continues in madhya pradesh

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मध्यप्रदेश के लिये विशेष महत्व रखता है।

भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मध्यप्रदेश के लिये विशेष महत्व रखता है। बाघों के अस्तित्व और संरक्षण के लिये प्रदेश में जो कार्य हुए है, उसके परिणाम स्वरूप आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक बाघ मध्यप्रदेश में है, यह न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि भारत के लिये भी गर्व की बात है। वर्ष 2022 में हुई बाघ गणना में भारत में करीब 3682 बाघ की पुष्टि हुई, जिसमें सर्वाधिक 785 बाघ मध्यप्रदेश में होना पाये गये।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की संवेदनशील पहल के परिणाम स्वरूप बाघों की संख्या में वृद्धि के लिये निरंतर प्रयास हो रहे हैं। बाघ रहवास वाले क्षेत्रों के सक्रिय प्रबंधन के फलस्वरूप बाघों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। मध्यप्रदेश के कॉरिडोर उत्तर एवं दक्षिण भारत के बाघ रिजर्व से आपस में जुड़े हुए हैं। प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने में राष्ट्रीय उद्यानों के बेहतर प्रबंधन की मुख्य भूमिका है। राज्य शासन द्वारा जंगल से लगे गांवों का विस्थापन किया जाकर बहुत बड़ा भूभाग जैविक दवाब से मुक्त कराया गया है। संरक्षित क्षेत्रों से गांव के विस्थापन के फलस्वरूप वन्य प्राणियों के रहवास क्षेत्र का विस्तार हुआ है। कान्हा, पेंच और कूनो पालपुर के कोर क्षेत्र से सभी गांवों को विस्थापित किया जा चुका है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का 90 प्रतिशत से अधिक कोर क्षेत्र भी जैविक दबाव से मुक्त हो चुका है। विस्थापन के बाद घांस विशेषज्ञों की मदद लेकर स्थानीय प्रजातियों के घास के मैदान विकसित किये गये हैं, जिससे शाकाहारी वन्य प्राणियों के लिये वर्षभर चारा उपलब्ध होता है। संरक्षित क्षेत्रों में रहवास विकास कार्यक्रम चलाया जाकर सक्रिय प्रबंधन से विगत वर्षों में अधिक चीतल की संख्या वाले क्षेत्र से कम संख्या वाले चीतल विहीन क्षेत्रों में सफलता से चीतलों को स्थानांतरित किया गया है। इस पहल से चीतल, जो कि बाघों का मुख्य भोजन है, उनकी संख्या में वृद्धि हुई है और पूरे भूभाग में चीतल की उपस्थिति पहले से अधिक हुई है।

राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन में मध्यप्रदेश शीर्ष पर

मध्यप्रदेश ने टाइगर राज्य का दर्जा हासिल करने के साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन में भी देश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी टाइगर रिजर्व के प्रबंधन की प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में सर्वोच्च रेंक प्राप्त की है। बांधवगढ़, कान्हा, संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाले रिजर्व माना गया है। इन राष्ट्रीय उद्यानों में अनुपम प्रबंधन योजनाओं और नवाचारी तरीकों को अपनाया गया है।

बाघों के सरंक्षण की पहल

राज्य सरकार बाघों के संरक्षण के लिये कई पहल कर रही है जिनमें वन्य जीव अभयारणों का संरक्षण और प्रबंधन, बाघों की निगरानी के लिये आधुनिक तकनीकों का उपयोग और स्थानीय समुदायों को रोजगार प्रदान करना शामिल है। मध्यप्रदेश में 9 टाइगर रिजर्व हैं, जिसमें (कान्हा किसली, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना बुंदेलखंड, सतपुड़ा नर्मदापुरम, संजय दुबरी सीधी, नौरादेही, माधव नेशनल पार्क और डॉ. विष्णु वाकणकर टाइगर रिजर्व (रातापानी) शामिल हैं।मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक बाघ हैं। यह रिजर्व मध्यप्रदेश का सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व है।

मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी

वन्य जीव पर्यटन में मध्यप्रदेश विशेष आकर्षण का केन्द्र बनकर उभरा है। टाइगर रिजर्व में देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश के टाइगर रिजर्व में वर्ष 2024-25 में 32 हजार 528, कान्हा टाइगर रिजर्व में 23 हजार 59, पन्ना टाइगर रिजर्व में 15 हजार 201, पेंच टाइगर रिजर्व में 13 हजार 127 और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 10 हजार 38 विदेशी पर्यटक की उपस्थिति रही। जबकि वर्ष 2023-24 में विदेशी पर्यटकों की संख्या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 25 हजार 894, कान्हा टाइगर रिजर्व में 18 हजार 179, पन्ना टाइगर रिजर्व में 12 हजार 538, पेंच टाइगर रिजर्व में 9 हजार 856 और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 6 हजार 876 थी।

मध्यपदेश टाइगर रिजर्व में 5 वर्ष में भारतीय पर्यटकों की संख्या 7 लाख 38 हजार 637 और विदेशी पर्यटकों की संख्या 85 हजार 742 रही। इस प्रकार कुल 8 लाख 24 हजार 379 पर्यटकों की संख्या रही। 5 वर्षों में टाइगर रिजर्व की लगभग 61 करोड़ 22 लाख रूपये की आय हुई है।

बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र ‘कान्हा टाइगर रिजर्व’

भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास क्षेत्र घोषित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कान्हा टाइगर रिजर्व में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या देश में सबसे अधिक है, जिनमें चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर, बार्किंग डियर, नीलगाय और हॉग डियर जैसे शाकाहारी जीवों की बहुतायत है, जो बाघों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। बाघों के निवास के लिये कान्हा रिजर्व में घास के मैदान, जंगल और नदियां शामिल हैं, जो बाघों के लिए संख्या रहवास उपयुक्त हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व में सक्रिय आवास प्रबंधन प्रथाओं को लागू किया गया है, जैसे चरागाहों का रखरखाव, जल संसाधन विकास और आक्रामक पौधों को हटाना। कान्हा में गांवों को कोर क्षेत्र से स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम हो गया है और वन्यजीवों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति मिलती है। कान्हा टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की निगरानी के लिए M-STriPES मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाता है और वन कर्मियों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

कान्हा टाइगर रिजर्व प्रदेश के मंडला जिले में स्थित है इसका कुल क्षेत्रफल 2074 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 917.43 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और 1134 वर्ग किलोमीटर में बफर जोन शामिल है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कान्हा टाइगर रिजर्व को बाघों का सर्वश्रेष्ठ आवास घोषित किये जाने पर वन अमले को बधाई दी थी। उन्होंने कहा कि अन्य रिजर्व भी इस दिशा में सकारात्मक पहल करें।

मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण में नवाचार

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिये कई नवाचार किये जा रहे हैं। जीन टेस्टिंग - मध्यप्रदेश में बाघों की जीन टेस्टिंग करने की योजना है, जिससे उनकी सटीक पहचान की जा सकेगी। गुजरात के बनतारा जू और रेस्क्यू सेंटर की तर्ज पर उज्जैन और जबलपुर में रेस्क्यू सेंटर बनाये जा रहे हैं।

ड्रोन स्क्वाड – पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण में अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए ‘ड्रोन स्क्वाड’ का संचालन शुरू किया गया है। इससे वन्यजीवों की खोज, उनके बचाव, जंगल में आग का पता लगाने और मानव-पशु संघर्ष को रोकने में मदद मिलेगी।

विस्थापन और रहवास विकास – मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिये 200 गांवों को विस्थापित किया गया है और रहवास विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इससे बाघों के आवास क्षेत्र का विस्तार हुआ है और उनकी संख्या में भी वृद्धि हो रही है। टाइगर रिजर्व के‍ विस्तार के साथ इन नवाचारों के परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है और यह देश में सबसे अधिक बाघों वाला राज्य बन गया है।

मध्यप्रदेश में वन्‍य जीव अपराध नियंत्रण की पहल

मध्यप्रदेश में वन्यजीव अपराध नियंत्रण इकाई का गठन किया गया है, जो वन्यजीवों के शिकार और अवैध व्यापार को रोकने के लिए काम करती है। पुलिस और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई से शिकारियों को पकड़ने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिल रही है। ग्राम वन प्रबंधन समितियों को वन्यजीव संरक्षण में शामिल किया गया है, जो शिकार को रोकने में मदद करती हैं। वन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिससे लोगों को वन्यजीवों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूक हो सके। मध्यप्रदेश में वन्यजीव संरक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि ड्रोन और कैमरा ट्रैप, जिससे शिकारियों की निगरानी की जा सके। वन विभाग ने वन्यजीव अपराधियों की सूची तैयार की है, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिल सके। मध्यप्रदेश वन विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है, जिससे वन्यजीव संरक्षण में मदद मिल सके। इन गतिविधियों के परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश में शिकार की घटनाओं में कमी आई है और वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि हुई है।

"कब हुई बाघ दिवस मनाने की शुरूआत

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का निर्णय 29 जुलाई 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) बाघ सम्मेलन में लिया गया था। इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने वादा किया था कि वर्ष 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी कर देंगे। मध्यप्रदेश बाघों के प्रबंधन में निरंतरता और उत्तरोत्तर सुधार करने में अग्रणी है। बाघ संरक्षण न केवल जैव विविधता के लिये महत्वपूर्ण है बल्कि यह पारिस्थितिकी के संतुलन को भी बनाये रखता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!