अंतरिक्ष तकनीक में नई उड़ान भरने को तैयार मध्यप्रदेश, स्पेस टैक पॉलिसी-2025 का ड्राफ्ट जारी

Edited By Himansh sharma, Updated: 04 Sep, 2025 08:30 PM

madhya pradesh is ready to take a new flight in space technology

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन है कि मध्यप्रदेश को भारत का स्पेस टेक्नोलॉजी हब बनाया जाए,

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन है कि मध्यप्रदेश को भारत का स्पेस टेक्नोलॉजी हब बनाया जाए, जिससे प्रदेश में विकसित स्पेस टैक ईकोसिस्टम सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। इसी विजन को साकार करने के लिए मध्यप्रदेश स्पेस टैक पॉलिसी-2025 बनाई गई है। स्पेस टैक पॉलिसी में अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और सुशासन में किये जाने के संबंध में भी स्पष्ट दिशा-निर्देश शामिल किये गए हैं। इससे प्रदेश की जनता को सीधे लाभ होगा और प्रदेश भारत की उभरती स्पेस इकोनॉमी में अपना महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित कर सकेगा।

मध्यप्रदेश सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ‘मध्यप्रदेश स्पेस टैक पॉलिसी-2025’ का ड्राफ्ट सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है। इस नीति का उद्देश्य प्रदेश को भारत का अगला प्रमुख स्पेस टैक हब बनाना और वैश्विक स्पेस इकोनॉमी में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाना है। सरकार ने नागरिकों, उद्योग जगत, स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों से इस ड्राफ्ट नीति पर सुझाव आमंत्रित किए हैं, जिससे यह नीति प्रदेश की आकांक्षाओं और व्यावहारिक आवश्यकताओं के अनुरूप अंतिम रूप ले सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस ड्राफ्ट नीति को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया है। सभी नागरिकों, स्टार्टअप्स, उद्योग जगत और शोध संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत करें। ड्राफ्ट पॉलिसी देखने और सुझाव देने हेतु लिंक है MP SpaceTech Policy 2025 Draft और फीडबैक फार्म के लिये लिंक है Public Consultation Feedback । पॉलिसी ड्राफ्ट के लिए दो हाइलेबल कंसल्टेंसी मीटिंग्स की गईं। पहली बैठक IIT इंदौर में हुई। इसमें इसरो, डीआरडीओ, बीईएल, शिक्षाविद और उद्योग जगत के 30 से अधिक विशेषज्ञ शामिल हुए। मीटिंग में ‘मध्यप्रदेश स्पेस टैकः एक्सप्लोरिंग अपॉर्चुनिटीज एंड चैलेंजेज’ विषय पर विचार-विमर्श हुआ। दूसरी बैठक बेंगलुरु स्थित BEL ऑफिसर्स क्लब में हुई। इसमें इसरो, डीआरडीओ, बीईएल, एसआईए-इंडिया और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के 40 से अधिक विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इनका नेतृत्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग श्री संजय दुबे ने किया। दोनों मीटिंग्स में आये परामर्शों, विचारों और सुझावों को पॉलिसी ड्राफ्ट में शामिल किया गया है।

पॉलिसी ड्राफ्ट में स्पष्ट किया गया है कि मध्यप्रदेश के पास स्पेस टैक में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएँ हैं। जबलपुर का डिफेंस कॉरिडोर, पीथमपुर का प्रिसिजन इंजीनियरिंग हब, प्रदेश की मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और IIT इंदौर, IISER भोपाल एवं RRCAT इंदौर जैसे  अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक एवं शोध संस्थान प्रदेश को स्पेस टैक सैक्टर में अग्रणी भूमिका दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। विशेष रूप से IIT इंदौर देश का एकमात्र संस्थान है, जो स्पेस साइंस और इंजीनियरिंग में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम संचालित करता है।

स्पेस टैक पॉलिसी को तीन स्तरों—अप स्ट्रीम, मिडस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम—में विभाजित किया गया है। अपस्ट्रीम में उपग्रह व लॉन्च वाहन निर्माण, प्रोपल्शन, एवियोनिक्स, स्पेस एसेट विकास के लिए विकसित रणनीतियों का समावेश है। मिडस्ट्रीम में मिशन संचालन, लॉन्च सेवाएँ, ग्राउंड स्टेशन, स्पेस ट्रैफिक मैनेजमेंट और डेब्रिस मिटिगेशन, जबकि डाउनस्ट्रीम में पृथ्वी अवलोकन, उपग्रह संचार, नेविगेशन एवं पोजिशनिंग और सिस्टम एंड डेटा एनालिटिक्स को शामिल किया गया है।

स्पेस टैक पॉलिसी में उद्योग व अकादमिक सहयोग से स्पेस टैक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना, उज्जैन में एस्ट्रोफिजिक्स एवं स्पेस साइंस आरएंडडी सेंटर, जो शहर की ऐतिहासिक खगोल-विज्ञान परंपरा को आधुनिक स्वरूप प्रदान करेगा। पॉलिसी में स्टार्टअप्स व उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए 200 करोड़ रुपये का स्पेस टैक वेंचर फंड, प्रोटोटाइप ग्रांट, आईपी रिइम्बर्समेंट, इनक्यूबेशन सपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनाने के लिए नीतियां शामिल की गई हैं। पॉलिसी में स्पेस टैक के लिए स्किल डेवलपमेंट के लिए संबंधित पाठ्यक्रमों का समावेश, उन्नत प्रशिक्षण, उद्योग आधारित अप्रेंटिसशिप और फेलोशिप कार्यक्रम शामिल किये गये हैं। 

प्रदेश में स्पेस टैक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किये जाने के लिए पॉलिसी में क्लीन रूम्स और टेस्टिंग सुविधाएँ, स्पेस मैन्युफैक्चरिंग पार्क, डुअल-यूज़ कंपोनेंट हब, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सेंटर, भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए ‘अंतरिक्ष विहार’ स्पेस एक्सप्लोरेशन पार्क, विद्यार्थियों के लिए ‘मिशन कल्पना’ कार्यक्रम और इसरो की युविका योजना में भागीदारी के लिए विस्तृत दिशानिर्देश निर्धारित किये गये हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजय दुबे ने कहा है “स्पेस टैक अब केवल रॉकेट और सैटेलाइट तक सीमित नहीं है। यह कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और उद्योगों में भी क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। मध्यप्रदेश इस नीति के माध्यम से अपनी औद्योगिक, शैक्षणिक और रणनीतिक क्षमताओं को नए अवसरों में बदलते हुए भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं में सार्थक योगदान देगा।’’

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