Edited By meena, Updated: 04 Sep, 2025 01:40 PM

मध्य प्रदेश के कटनी के विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है...
भोपाल : मध्य प्रदेश के कटनी के विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा से फोन पर धमकाने के आरोप लगने के बाद अब खनिज विभाग ने विधायक की फर्मों पर शिंकजा कसा है। खनिज विभाग ने विधायक से तय मात्रा से अधिक आयरन और खनन पर लगाई 443 करोड़ रुपए की पेनल्टी की राशि वसूलने की कार्यवाही शुरू की है। खनिज विभाग ने विधायक से जुड़ी फर्मों को इस संबंध में मांग पत्र जारी कर दिए हैं। जिसके तहत विधायक को उक्त राशि के साथ जीएसटी और ब्याज की राशि भी भरनी होगी। बता दें कि विधायक के खिलाफ हाईकोर्ट में अवैध खनन में 443 करोड़ रुपए की पेनल्टी केस चल रहा है। इसी बीच विधायक ने जस्टिस विशाल मिश्रा को फोन पर धमकाने के आरोप लगे। इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने खुद को केस से अलग कर लिया। खनिज विभाग ने विधायक से जुड़ी फर्मों को इस संबंध में मांग पत्र जारी कर दिए हैं। उक्त राशि के साथ जीएसटी और ब्याज की राशि भी भरनी होगी।
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विधायक संजय पाठक के खिलाफ अवैध खनन के आरोप लगे थे। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद राज्य शासन ने इसकी जांच के लिए एक दल का गठन किया था। दल ने मौके पर खनन और दस्तावेजों में स्वीकृत अनुमति के आधार पर जांच कर रिपोर्ट सरकार को दी थी। शासन के पत्र के आधार पर खनिज विभाग ने पेनल्टी की वसूली की कार्रवाई शुरू की है। ये खदानें संजय पाठक के कई परिवारजनों के नाम पर हैं। जिनमें कुछ फर्में विधायक संजय पाठक, कुछ मां निर्मला पाठक और कुछ पुत्र यश पाठक के नाम पर हैं। इसी तरह एक अन्य फर्म में उनकी 50% भागीदारी है।

राज्य शासन के निर्देश के बाद खनिज विभाग ने 443 करोड़ रुपए की पेनल्टी राशि वसूलने की कार्यवाही शुरू कर दी है। फर्मों के संचालकों को इसके लिए मांग पत्र जारी किए गए हैं। जिसमें आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन से 234.51, निर्मला मिनरल्स से 126.79, पेसेफिक एक्सपोर्ट से 81.79 और आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन फर्म से 20.02 वसूली की जाएगी।
बता दें कि पूरा विवाद अवैध खनन के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर रिट याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता आशुतोष दीक्षित ने आर्थिक अपराध शाखा (EOW), भोपाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने समयसीमा में जांच पूरी नहीं की। इस मामले में विधायक संजय पाठक ने भी हस्तक्षेप की मांग करते हुए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था, जबकि वह याचिका में पार्टी नहीं थे। विधायक संजय पाठक ने जस्टिस से संपर्क करने की कोशिश की। इसके बाद जज ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया।