Edited By Vikas Tiwari, Updated: 31 Aug, 2025 03:11 PM

मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अनारक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना-2025 की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को प्रति वर्ष 40 हजार...
भोपाल: मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अनारक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना-2025 की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को प्रति वर्ष 40 हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग 35 लाख रुपये) तक की आर्थिक सहायता देगी। इस योजना के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 19 सितंबर तय की गई है।
सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी के लिए
योजना का लाभ सिर्फ स्नातकोत्तर (Post Graduation) और पीएचडी स्तर की पढ़ाई के लिए मिलेगा। पात्र होने के लिए उम्मीदवार का मध्य प्रदेश का मूल निवासी होना जरूरी है और स्नातक परीक्षा में कम से कम 60% अंक होना अनिवार्य है।
अब तक 24 विद्यार्थियों को मिला लाभ
यह योजना वर्ष 2018-19 से लागू है और अब तक 24 छात्रों को इसका लाभ मिल चुका है। हर साल 20 विद्यार्थियों का चयन किया जाता है। चयनित छात्रों को वास्तविक खर्च या अधिकतम 38 हजार अमेरिकी डॉलर, साथ ही 2 हजार डॉलर किताबें, उपकरण और रिसर्च के लिए मिलेंगे।
आवेदन की शर्तें
आवेदक की पारिवारिक आमदनी 8 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। स्नातकोत्तर के लिए अधिकतम आयु सीमा 25 वर्ष, जबकि पीएचडी के लिए 35 वर्ष तय की गई है। विदेशी विश्वविद्यालय से प्रवेश का प्रस्ताव (Admission Letter) अनिवार्य है। एक परिवार से सिर्फ एक ही सदस्य को यह छात्रवृत्ति दी जाएगी। यह छात्रवृत्ति हर साल दो बार दी जाती है।
जनवरी-जून सत्र के लिए 10 छात्र और जुलाई-दिसंबर सत्र के लिए 10 छात्रों को मौका दिया जाता है। चयनित छात्रों को अधिकतम 2 साल तक सहायता दी जाएगी।
आवेदन की प्रक्रिया
पात्र उम्मीदवार 19 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन आयुक्त, उच्च शिक्षा संचालनालय, तृतीय तल, सतपुड़ा भवन, भोपाल में जमा करना होगा। यह आवेदन स्वयं, प्रतिनिधि या डाक के माध्यम से किया जा सकता है।
उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी धीरेंद्र शुक्ला ने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालय से एडमिशन मिलने पर ही छात्र योजना के लिए पात्र होंगे। उन्होंने यह भी माना कि योजना की जानकारी की कमी के कारण अब तक हर साल सिर्फ 2-3 ही छात्र इसका लाभ ले पाए हैं।