विकसित भारत 2047 अंतर्गत रोजगार आधारित शिक्षा: रुझान एवं नए अवसर राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री हुए शामिल

Edited By Himansh sharma, Updated: 23 Jul, 2025 06:54 PM

the c m said that today is the era of currency but skill is the currency

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाओं को पहचान कर विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम तैयार करें।

भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाओं को पहचान कर विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम तैयार करें। उन्होंने प्रदेश में देश विदेश से निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल की सराहना की है। अपेक्षा की है कि निवेश परियोजना क्रियान्वयन के साथ ही उद्योग में रोजगार के लिए उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध कराने के लिए कोर्स प्रारम्भ करें, जिससे परियोजना शुरू होने के साथ ही आवश्यकता अनुसार स्थानीय स्तर के युवा उपलब्ध हो सकें।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज करेंसी का जमाना है, लेकिन स्किल (कौशल) ही करेंसी है, भारत इसे अच्छी तरह समझता है। इसीलिए हम नवाचार करते हुए कौशल विकास की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान और तेजी से बढ़ता राज्य है। इसीलिए हम खेती की पढ़ाई को सामान्य महाविद्यालयों तक लेकर गए हैं। अगर कोई युवा खेती में करियर बनाना चाहे तो उसे आधुनिक तकनीक की जानकारी होनी चाहिए। विश्वविद्यालयों के दायरे विस्तृत होने चाहिए। सभी कोर्स यहां से संचालित होने चाहिए।

राज्यपाल पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उक्त विचार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विकसित मध्यप्रदेश 2047 ‘रोजगार आधारित शिक्षा-रूझान एवं नए अवसर’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही है। कार्यशाला का आयोजन बुधवार को  कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में किया गया।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय रोजगार आधारित शिक्षा-रूझान एवं नए अवसर कार्यशाला समय की आवश्यकता है। भविष्य की तैयारी का सशक्त मंच है। रोजगार केन्द्रित शिक्षा और विकसित भारत के निर्माण में प्रदेश के योगदान को बढ़ाने की प्रभावी पहल है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि शिक्षा समाज की रीढ़ है। यह समय के साथ तालमेल बैठाने, नवाचारों को अपनाने और नवीन अवसरों का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को सक्षम बनाती है। इसलिए हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को रोजगार के अवसरों तक सुलभ पहुंच देने के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त बनाए।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि शिक्षा से मनुष्य का समग्र विकास होता है। यह आयोजन को बदलते दौर में रोजगार आधारित शिक्षा और अवसरों का विकास करने के क्रम किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सबसे पहले 1968 और उसके बाद 1988 में मंथन हुआ। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर तीसरी बार मंथन हो रहा है। लेकिन आजादी के बाद 2020 से पहले कभी भी लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से बाहर आकर विचार नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल शासन की मंशा को समझने वाले दृष्टा थे। इसी भाव से उन्होंने सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करते हुए देश की जड़ों को मजबूत करने का कार्य किया। महात्मा गांधी ने अहिंसा के अस्त्र का उपयोग करते हुए देश के गांव-गांव तक स्वतंत्रता की अलख जगाई थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि दुनिया, भारत के साथ आने के लिए लालायित है। आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति पर आक्रमण करने के लिए हमारी शिक्षा के बड़े केंद्रों तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला को तोड़ने और जलाने का कार्य किया। मध्य प्रदेश 64 कलाओं की शिक्षा वाली भूमि है। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा ग्रहण करने के लिए उज्जैन के सांदीपनि आश्रम आए थे। हम उस देश के वासी हैं, जहां होठों पर सच्चाई रहती है और जो होठों पर सच्चाई लेकर आए वही शिक्षा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में शासकीय और निजी मिलाकर 70 से अधिक विश्वविद्यालय हैं। भारत विश्वगुरु है और गुरु वह जो हमारे जीवन में अंधकार हटाकर उसे प्रकाशमय कर दे। जेएनयू ने भी मध्यप्रदेश की कुलगुरु परंपरा को आत्मसात कर लिया है। सरकार प्रदेश में 10 हजार से अधिक शैक्षणिक संस्थाओं में एनईपी लागू करने पर आगे बढ़ चुकी है। प्रदेश में 220 से अधिक सांदीपनि विद्यालयों की शुरुआत की गई है। यहां विद्यार्थियों के लिए आधुनिक कंप्यूटर कोडिंग लैब स्थापित की गई हैं। शिक्षा केवल कागज की डिग्री लेने के लिए न हो, बल्कि वह भविष्य की चुनौतियों से लड़ने और उसे समझने में समर्थ हो। इसीलिए प्रदेश के विश्वविद्यालयों में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई), डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्युटिंग और बायोटेक्नोलॉजी जैसे कोर्स शुरू किए गए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश दूध उत्पादन में देश में तीसरे स्थान पर है। हमने शीर्ष स्तर पर पहुंचने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में 6 करोड़ से अधिक पशुधन है, इसीलिए राज्य सरकार प्रदेश में वेटेनरी कॉलेज की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है। हम सिंचाई के रकबे के साथ-साथ मत्स्य उत्पादन को भी बढ़ाने के लिए संकल्पित हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि शिक्षा हर काल में सर्वोच्च रही है। भारतीय संस्कृति में संस्कारों को आगे बढ़ाते हुए रोजगार देने की परंपरा थी। बिना संस्कारों के हम श्रेष्ठ और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक नहीं बना सकते हैं। प्रदेश में नई शिक्षा नीति और कार्य की जवाबदेही तय करने की पहल देश भर में स्थान बनाएगी और प्रदेश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी।

कार्यक्रम के प्रारंभ में राज्यपाल पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर किया। राज्यपाल पटेल का उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन ने पौधा, श्रीफल, अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यशाला में विषय -विशेषज्ञ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और आई.ई.यू.ए.सी. के निदेशक डॉ. ए.सी. पांड़े ने विचार रखे। राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रारंभ में अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन ने स्वागत उद्बोधन दिया। मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भरत शरण सिंह ने आभार व्यक्त किया।

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!