दहेज की बलि चढ़ी एक और बेटी, अपनी लाडली की शादी ये पहले पुष्पलता की लाइफ में जरुर झांके

Edited By meena, Updated: 17 Nov, 2020 01:42 PM

dowry sacrificed another daughter

हमारे देश में दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों, चाहे वे मानसिक हों या फिर शारीरिक, को बढावा देता है। इस व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है। ताजा मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की...

नरसिंहपुर(रोहित अरोरा): हमारे देश में दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों, चाहे वे मानसिक हों या फिर शारीरिक, को बढावा देता है। इस व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है। ताजा मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की तेंदूखेड़ा तहसील का है जहां एक पिता ने थाने में पहुंचकर अपनी बेटी पर हुए अत्याचारों की लिखित शिकायत दर्ज कराई जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री जिसका नाम पुष्पलता पटेल आयु 23 वर्ष है की शादी पिछले 5 महीनें पहले आशीष पटेल नाम के व्यक्ति से हुई थी पिता ने बताया कि शादी के महज़ 5 महीनों के अंदर ही पुष्पलता ससुराल की दहेज की मांगो को लेकर अपने मायके 4 से 5 बार आ चुकी थी।

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पुष्पलता ने बार-बार यह बताया था कि ससुराल पक्ष द्वारा उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। छोटी छोटी सी बातों को लेकर मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना दी जा रही है। पुष्पलता के पिता अपनी शिकायत बताते हैं कि उन्होंने शादी में वर पक्ष को 11 लाख रुपए नगद एवं साज सज्जा का सामान उनकी मांग के अनुसार दिया था, लेकिन वर पक्ष की मांग और बढ़ती गई जिसके बाद वर पक्ष ने एक फोर व्हीलर गाड़ी की मांग और कर डाली मांग पूरी ना होने के चलते पुष्पलता को आये दिन प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा था। प्रताड़ना इस कदर बढ़ चुकी थी कि मजबूर होकर पुष्पलता ने 13 नवंबर को जहरीला पदार्थ खा कर अपने पिता को दहेज के बोझ से मुक्त  कर अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर डाली।

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पुष्पलता के पिता की माने तो यह स्पष्ट होता है कि पुष्पलता की इस दर्दनाक मौत की वजह उसका पति और ससुराल पक्ष वाले ही हैं, परंतु विचार करने वाली बात यह है कि पुष्पलता की शादी मे उसके पिता ने जो दहेज के नाम पर लाखों रुपये देकर अपनी लाडली बेटी की खुशियों की कामना की थी कहीं यही पैसों से खरीदी हुई खुशियों की कामना उसकी दर्दनाक मौत की वजह तो नहीं बनी?

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यहां यह कहना भी बिल्कुल गलत नहीं होगा कि दहेज प्रथा के खिलाफ सरकार द्वारा बनाई गई कमजोर नीतियों के कारण भी बनाए गए कानून कारगार सिद्ध नहीं हो पा रहे है। इस कुरीति को मिटाने के लिए युवा वर्ग को जागृत होना होगा, बुराई के विरोध में खड़े होना होगा । दहेज देने तथा लेने वालों का बहिष्कार करना होगा । तभी इस कुरीति को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

 

 

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