फर्ज निभाने के लिए स्कूटी से नागपुर पहुंच गई डॉ प्रज्ञा, तपती धूप में भूखे प्यासे 180 KM का सफर

Edited By meena, Updated: 23 Apr, 2021 03:03 PM

कोरोना संकट में जहां संक्रमण के डर से अपने ही अपनों से मुंह मोड़ रहे हैं ऐसे में बालाघाट की एक बेटी ने सेवा और अपने फर्ज को अंजाम देने के जज्बे की एक बड़ी मिसाल पेश की है। प्रज्ञा घरड़े नाम की यह बेटी पेशे से डॉक्टर है और नागपुर के निजी अस्पताल के...

बालाघाट(हरीश लिलहरे): कोरोना संकट में जहां संक्रमण के डर से अपने ही अपनों से मुंह मोड़ रहे हैं ऐसे में बालाघाट की एक बेटी ने सेवा और अपने फर्ज को अंजाम देने के जज्बे की एक बड़ी मिसाल पेश की है। प्रज्ञा घरड़े नाम की यह बेटी पेशे से डॉक्टर है और नागपुर के निजी अस्पताल के एक कोविड केयर सेंटर में सेवाएं दे रही हैं। इसके लिए उसने 180 किलो मीटर का सफर भूखे प्यासे रह कर तय किया और अपनी मंजिल तक पहुंची।

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डॉ. प्रज्ञा छुट्टी पर अपने घर आईं थीं। अचानक संक्रमण बढऩे के बाद उन्हें छुट्टी के बीच ही नागपुर चिकित्सकीय सेवाएं देने लौटना पड़ रहा था। लेकिन लॉकडाउन में महाराष्ट्र की ओर जाने वाली बसें और ट्रेन के साधन नहीं मिल पाने पर प्रज्ञा ने अपनी स्कूटी से ही नागपुर तक का सफर तय करने का निर्णय लिया। पहले डॉ प्रज्ञा को अकेले इतना लंबा रास्ता स्कूटी से तय करने देने में उनके परिजन हिचक रहे थे। लेकिन डॉ. प्रज्ञा की सेवा भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति देखते हुए उन्होंने इस बात पर सहमति दे दी।

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वे सुबह स्कूटी से नागपुर के लिए निकल गई और दोपहर वहां पहुंचने के बाद से ही उन्होंने कोविड के मरीजों का उपचार भी शुरू कर दिया। बालाघाट की इस साहसी बेटी प्रज्ञा ने बताया कि वह नागपुर में प्रतिदिन 6 घंटे एक कोविड अस्पताल में सेवा देती हैं। जहां वे आरएमओ के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा प्रतिदिन शाम की पाली में भी एक अन्य अस्पताल में कार्यरत हैं। जिसके कारण उन्हें लगभग रोज 12 घंटे से अधिक समय तक पीपीई किट पहनकर काम करना पड़ता है। 

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डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि उन्हें स्कूटी चलाकर बालाघाट से नागपुर पहुंचने में लगभग 180 किमी की दूरी तय करनी पड़ी। इसमें करीब 7 घंटे का समय उन्हें लगा। उन्होंने बताया कि तेज धूप और गर्मी के साथ में अधिक समान होने से थोड़ी असुविधा जरूर हुई। रास्ते में भी कुछ खाने पीने को नहीं मिला। लेकिन वह दोबारा अपने काम पर लौट गईं, इस बात की संतुष्टि है।

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एमपी में कोरोना ने पांव पांसर रखा है। वहीं बालाघाट की इस साहसी बेटी ने साबित कर दिया है कि इतनी विषम परस्थिति में भी उसने हार नहीं मानी और मानव सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म माना। इतना ही नहीं अपनी सेहत की परवाह किये बिना बालाघाट जिले से नागपुर तक 180 किलोमीटर का सफर स्कूटी से तय किया।

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