विशाखापट्टनम और भोपाल गैस कांड में कितनी समानताएं? कौन सी गैस है सबसे ज्यादा खतरनाक

Edited By Vikas kumar, Updated: 08 May, 2020 01:30 PM

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विशाखापट्टनम में हुए गैस हादसे ने एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी। LG पॉलीमर इंडस्ट्री में स्टाइरीन गैस के लीक होने से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 5 हजार....

मध्यप्रदेश डेस्क (विकास तिवारी): विशाखापट्टनम में हुए गैस हादसे ने एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी। LG पॉलीमर इंडस्ट्री में स्टाइरीन गैस के लीक होने से अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 5 हजार से भी ज्यादा लोग बीमार हो चुके हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि LG पॉलीमर कंपनी में लीक हुई स्टाइरीन गैस काफी खतरनाक है। इस गैस से महज 10 मिनट में ही किसी भी शख्स की मौत हो सकती है। इस गैस लीक घटना ने एक बार फिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई गैस कांड की याद दिला दी है। इस हादसे में भी मिथाइल आइसोसाइनाइड नाम की खतरनाक गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोग मौत के आगोश में समा गए थे। आइए जानते हैं विशाखपट्टनम और भोपाल गैस कांड के बीच समानताओं के बारे में ....

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7 मई 2020 को आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में LG पॉलीमर कंपनी में स्टाइरीन नामक गैस का रिसाव हुआ। इस गैस का असर सीधा दीमाग और रीढ़ की हड्डियों पर होता है। जिसके चलते इंसान बेहाश होकर वहीं गिर जाता है और उसकी मौत हो जाती है। यह गैस वातावरण में प्रवेश करते ही ऑक्सीजन से मिल जाती है, जिसके चलते हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बेहद बढ़ जाती है। इसका सीधा असर इंसान के फेफडों में होता है, कुछ ही देर में इंसान को घुटन होने लगती है, और फिर उसकी मौत हो जाती है।

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अब हम बात करेंगे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड कंपनी से लीकेज हुई मिथाइल आइसोसाइनाइड गैस के प्रभाव के बार में...
दरअसल भोपाल की यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड़ कंपनी से मिथाइल आइसोसाइनाइड गैस का रिसाव हुआ था। जहरीली गैस के चपेट में भोपाल का पूरा दक्षिण-पूर्वी इलाका आ चुका था। उसके बाद रात 12:50 बजे गैस के संपर्क में आने से वहां आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोगों को घुटन, खांसी, आंखों में जलन, पेट फूलना और उल्टियां होने लगी। देखते ही देखते चारों तरफ लाशों का अंबार लग गया कोई नहीं समझ पाया की यह कैसे हो रहा है।

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इस गैस कांड में करीब 15 हजार भोपाल वासियों ने दम तोड़ दिया, लेकिन सरकारी आकड़ों के अनुसार 3787 लोगों की ही जानें गई थीं। लेकिन एक बड़ी बात ये सामने आई कि इस गैस रिसाव में जो लोग बचे उनको फेफडे संबंधित बीमारियां होने लगीं। जिसका असर आज भी दिखाई देता है। भोपाल गैस कांड से प्रभावित लोग अब भी कैंसर, ट्यूमर, सांस और फेफड़ों जैसी खतरनाक बीमारियों से जूझ रहे हैं। आज भी यूनियन कार्बाइड कंपनी के आसपास के लोग अपंग ही पैदा हो रहे हैं।

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ऐसे में देखा जाए तो भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से लीक हुई मिथाइल आइसोसाइनाइड कहीं ज्यादा खतरनाक थी, जिसका दर्द आज भी भोपाल वाले झेल रहे हैं।

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