गर्भावस्था के नौवें महीने में कई मील पैदल चली महिला, सड़क पर डिलीवरी के एक घंटे बाद भी जारी रखा सफर

Edited By meena, Updated: 11 May, 2020 06:37 PM

in the ninth month of pregnancy a woman walked from nashik to satna

देशभर में प्रवासी मजदूरों का घर वापसी का सिलसिला जारी है। लेकिन इन प्रवासियों की घर वापसी की अब जैसी तस्वीरें सामने आ रही हैं वे रोंगटे खड़े करने वाली है। जिंदा रहने के लिए मजदूर किन विषम स्थितियों में घर वापसी कर रहे हैं यह दिल दहलाने वाला है। ऐसी...

सतना(रविशंकर पाठक): देशभर में प्रवासी मजदूरों का घर वापसी का सिलसिला जारी है। लेकिन इन प्रवासियों की घर वापसी की अब जैसी तस्वीरें सामने आ रही हैं वे रोंगटे खड़े करने वाली है। जिंदा रहने के लिए मजदूर किन विषम स्थितियों में घर वापसी कर रहे हैं यह दिल दहलाने वाला है। ऐसी ही घटना सतना जिले के उचेहरा तहसील की रहने वाली महिला मजदूर की है, जो गर्भावस्था के नौंवे महीने में भी नासिक से घर के लिए निकल पड़ी। एमपी-महाराष्ट्र के बिजासन बॉर्डर पर नवजात बच्चे के साथ पहुंची इस महिला मजदूर की कहानी दिल दहला देने वाली है। बच्चे के जन्म के 1 घंटे बाद ही उसे गोद में लेकर महिला 150 किलोमीटर तक पैदल चल बिजासन बार्डर पर पहुंची।

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यह भयावह कहानी है शकुंतला की जो अपने पति के साथ नासिक में रहती थी। गर्भावस्था के नौवें महीने में वह अपने पति के साथ नासिक से सतना के लिए पैदल निकली। नासिक से सतना की दूरी करीब 1 हजार किलोमीटर है। उसने बिजासन बॉर्डर से 150 किलोमीटर पहले 5 मई को सड़क किनारे ही बच्चे को जन्म दिया।
बच्चे को लेकर बिजासन बॉर्डर पहुंची
शनिवार को शकुंतला बिजासन बॉर्डर पर पहुंची। उसके गोद में नवजात बच्चे को देख चेक-पोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश उसके पास जांच के लिए पहुंची। उन्हें लगा कि महिला को मदद की जरूरत है। उसके बाद उससे बात की, तो कहने को कुछ शब्द नहीं थे। महिला 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया था। इसमें 4 महिला साथियों ने मदद की थी।

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आवाक रह गई पुलिस
शकुंतला की बातों को सुनकर पुलिस टीम अवाक रह गई। महिला ने बताया कि वह बच्चे को जन्म देने तक 70 किलोमीटर पैदल चली थी। जन्म के बाद 1 घंटे सड़क किनारे ही रुकी और पैदल चलने लगी। बच्चे के जन्म के बाद वह बिजासन बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 150 किलोमीटर पैदल चली है।

रास्ते में मिली मदद
शकुंतला के पति राकेश कोल ने बताया कि यात्रा बेहद कठिन थी, लेकिन रास्ते में मददगार भी मिले। एक सरदार परिवार ने धुले में नवजात बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान दिए। राकेश ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से नासिक में उद्योग धंधे बंद हैं, इस वजह से नौकरी चली गई। सतना जिले स्थित उचेहरा गांव तक पहुंचने के लिए पैदल जाने के सिवा हमारे पास कोई और चारा नहीं था। हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा था। ऐसे में घर लौटना ही एक मात्र चारा बचा था। अंतिम विकल्प देख सभी चल दिये। जैसे ही पिंपलगांव पहुंचे, वहां पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।

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स्वस्थ है जच्चा बच्चा
बिजासन बॉर्डर पर शकुंतला को भीड़ से अलग निकाल कर मदद करने वाली पुलिस अधिकारी कविता कनेश ने कहा कि समूह में आए इन मजदूरों को यहां खाना दिया गया। साथ नंगे पैर में आ रहे बच्चों को जूते भी दिए। नवजात और मां अब ठीक हैं। शकुंतला की दूसरी बड़ी बेटी 2 साल की है। वो भी काफी थकी थी। सभी को पहले एकलव्य छात्रावास ले जाया गया। जहां उन्हें खाना पानी दिया गया। इसके बाद प्रशासन की मदद से उन्हें घर भेजने की व्यवस्था की है।

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