इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे कमलनाथ के बारे में जानें हर हकीकत

Edited By Vikas kumar, Updated: 14 Dec, 2018 06:12 PM

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कई अटकलों के बाद कांग्रेस ने मध्यप्रदेश मे मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के नाम पर अंतिम मुहर लगाई है। इस बार का विधानसभा चुनाव पार्टी ने कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा था। कांग्रेस अध्यक्ष बन...

भोपाल: कई अटकलों के बाद कांग्रेस आलाकमान ने मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। इस बार का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा था। कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में पार्टी के संगठन में बदलाव करने की सोची। इसकी शुरुआत विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले कमलनाथ को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर की और उनका यह फैसला अब सही साबित हुआ। कांग्रेस 15 सालों बाद राज्य की सत्ता में वापस आ गई। 

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कमलनाथ वर्तमान समय में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ सांसद हैं। वे 9 वीं बार मोदी लहर के बावजूद छिंदवाड़ा से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे। कमलनाथ को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है।

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कौन हैं कमलनाथ ?

कमलनाथ का जन्म 18 नवंबर 1946 को कानपुर के एक बिजनेस फैमिली में हुआ। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई देश के एक प्रतिष्ठित दून स्कूल में की और कालेज की पढ़ाई सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से की। कमलनाथ के पिता का नाम स्व. महेन्द्र नाथ और माता का नाम स्व. लीला नाथ है। कमलनाथ के दो पुत्र हैं एक का नाम नकुल तो दूसरे का नाम बकुल नाथ है। दून स्कूल में पढ़ते वक्त इनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई और यहां वे दोनों एक दूसरे के करीबी दोस्त बन गए। दोनों के बीच यह दोस्ती स्कूल के बाद भी कायम रही। लेकिन संजय गांधी राजनीति में आ गए और कमलनाथ ने इसमें आने का फैसला नहीं लिया। लेकिन जब इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस आपातकाल में पहली बार सत्ता से बाहर हुई तो संजय गांधी के कहने के बाद कमलनाथ ने राजनीति में आने की सोची।

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चुनाव लड़ने के लिए छिंदवाडा़ ही क्यों चुना ? 

उत्तर प्रदेश में जन्में कमलनाथ पंजाबी खत्री हैं। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े जिले छिंदवाडा़ में पंजाबी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में हैं। इसीलिए कमलनाथ को यहां पर लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया। पहली बार कमलनाथ ने 1980 में लोकसभा का चुनाव लड़कर सांसद बने और इसके साथ ही इंदिरा गांधी की सत्ता वापसी भी हुई।  
 

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जब इंदिरा गांधी ने कहा था, 'कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे हैं' 

जब कमलनाथ पहली बार सांसद बने तो उस समय एक नारा चलने लगा था। जिसमें कहा जाता था, 'इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमलनाथ।' जब कलमनाथ ने पहली बार छिंदवाडा़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा था तो इंदिरा गांधी भी इनके चुनाव प्रचार में गई थीं। यहां उन्होंने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहा था। इंदिरा ने कहा था कि, कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे हैं, मैं अपने बेटे के लिए वोट मांगने आई हूं। 
 

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मंत्रिमंडल में प्रभार

कमलनाथ पहली बार 1991 में केन्द्रीय मंत्री बनाए गए उन्हें पर्यावरण मंत्री का विभाग दिया गया। इसके बाद वे 1995 से 96 तक केन्द्रीय कपड़ा मंत्री रहे। 2004 से 2008 तक केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रहे। 2009 से 011 तक केन्द्रीय सड़क व परिवहन मंत्री और 2012 से 014 तक शहरी विकास मंत्री पद पर रहे। 

  
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शैक्षणिक संस्थानों में प्रभार

कमलनाथ कई बार शैक्षणिक संस्थानों में भी अध्यक्ष पद पर रहे। वे इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी बोर्ड ऑफ गवर्नमेंट गाजियाबाद, लाजपत राय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज गाजियाबाद और इंस्टिट्यूट ऑफ इंडोलॉजी नई दिल्ली साहिबाबाद में अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं।
 

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1996 में पहली बार सुंदरलाल पटवा से हारे

1996 में हवाला केस में नाम आने के कारण कांग्रेस ने इन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया था। इनके स्थान पर इनकी पत्नी अलका नाथ को चुनाव मैदान में उतारा गया। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और यहां उपचुनाव हुए। हवाला केस में क्लीन चिट मिलने के बाद उन्होंने फिर यहां से सुंदरलाल पटवा के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वे यहां से हार गए। ये कमलनाथ के जीवन की एक मात्र हार थी।
 

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09 बार सांसद रहे

कमलनाथ संजय गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे। इन्होंने पहली बार 1980 में छिंदवाड़ा से लोकसभा का चुनाव जीता। इसके बाद वे 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

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संगठन में पद

कमलनाथ ने 1968 में युवा कांग्रेस में प्रवेश किया। इसके बाद इन्हें 1976 में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस का प्रभार मिला। 1970 से 81 तक अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे, 1979 में युवा कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के पर्यवेक्षक रहे, 2000 से 2018 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे और वर्तमान में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर हैं। 
 

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सराहना व प्रशस्ति सम्मान 

1972 में बांग्लादेश की आजादी में योगदान के लिए वहां के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान मिला। 1991 में पृथ्वी सम्मेलन रियो डी जेनेरियो में भारत का कुशल प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद द्वारा प्रशस्ति पत्र से नवाजा गया। 1999 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय लंदन द्वारा आमंत्रण व्याख्यान सम्मान मिला, वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में 14 बार लगातार भारत का नेतृत्व करने पर भी कमलनाथ को सम्मानित किया जा चुका है।  
 

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डॉक्टरेट से सम्मानित

जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने 2006 में कमलनाथ को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।
 

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मध्यप्रदेश में खत्म किया 15 वर्षों का वनवास

विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया। जब ये मध्यप्रदेश के अध्यक्ष बने तो कांग्रेस बीजेपी के सामने लड़ाई लड़ने के काबिल नहीं थी लेकिन छह महीनों में ही कमलनाथ ने सब कुछ बदल कर रख दिया। राहुल का यह फैसला सही साबित हुआ और कांग्रेस 15 वर्षों के वनवास के बाद सत्ता में लौट ही आई। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी माना कि कमलनाथ ने इस बार कांग्रेस को टूटने नहीं दिया। कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में 101.8 फीट ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ती भी बनवाई जो की विधानसभा चुनाव में काफी आकर्षण का केन्द्र भी रहा। 
 
 

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