Edited By meena, Updated: 25 Mar, 2023 07:21 PM

इंदौर के एक सफाई कर्मचारी की बेटी रोहिणी घावरी ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व किया
जिनेवा/इंदौर: इंदौर के एक सफाई कर्मचारी की बेटी रोहिणी घावरी ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व किया। रोहिणी घावरी इस वक्त सरकारी स्कॉलरशिप पर स्विटजरलैंड में पीएचडी कर रही है। यूएनएचआरसी सत्र के दौरान रोहिणी घावरी ने वंचित लोगों के उत्थान के लिए भारत की तारीफ की और पाकिस्तान को जमकर लताड़ा।
रोहिणी घावरी ने कहा कि यूएन की बैठक में हिस्सा लेने का उनको एक सुनहरा मौका मिला है। मैं पिछले 2 साल से जिनेवा में अपनी पीएचडी कर रही हूं। यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व करना और भारत में दलितों की हालत के बारे में जागरूकता फैलाना मेरा सपना था। एक दलित लड़की होने के नाते इस तरह की जगह पर पहुंचने का मौका मिलना कठिन होता है।
रोहिणी ने आगे कहा कि ‘एक दलित लड़की होने के नाते मुझे गर्व है कि मुझे यहां आने का मौका मिला और अपनी बात रखने का मौका मिला। मैंने लोगों को बताया कि भारत में पड़ोसी देशों की तुलना में दलितों की स्थिति काफी बेहतर है। हमारे भारत में आरक्षण नीति है। मैं खुद भारत सरकार से 1 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति लेकर यहां पीएचडी कर रही हूं। मैं खुद एक इसका उदाहरण हूं। एक सफाई कर्मचारी की बेटी होने के नाते हम यहां तक पहुंचे हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है। गौरतलब है कि पाकिस्तान लगातार भारत में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों जैसे हाशिये के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाने की कोशिश करता रहता है।
रोहिणी ने आगे कहा कि हमारे देश में बड़ा बदलाव हुआ है। आज हमारे देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी द्रौपदी मुर्मू है और पीएम भी ओबीसी से हैं। देश की आजादी के 75 साल में दलितों के हालातों में बहुत बदलाव हुआ है। रोहिणी ने कहा कि हाशिये के लोगों में से शीर्ष पदों पर पहुंचने वालों की संख्या भले ही बहुत ज्यादा नहीं हो, मगर हमारे देश का संविधान बहुत मजबूत है। जहां हाशिये पर रहने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनने का सपना देख सकता है। वह हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जा सकता है भारत ने इस तरह के बदलाव देखे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ देश और यहां तक कि गैर सरकारी संगठन भी संयुक्त राष्ट्र में भारत की गलत छवि पेश करते थे। अगर आप अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो वहां सकारात्मक और नकारात्मक दोनों चीजें हैं। यदि आप अमेरिका जाते हैं, तो उनके पास ब्लैक एंड व्हाइट का एक मुद्दा होता है। भारत में, हमारे पास जातिगत भेदभाव के मामले हैं। लेकिन, सकारात्मक चीजें भी हैं। एक दलित लड़की होने के नाते, मैं एक उदाहरण हूं।