विश्व प्रसिद्ध जैन मुनि डॉ.सागरमल ने संथारा लेकर त्यागी देह, निर्वाण यात्रा में उमड़ी भीड़

Edited By meena, Updated: 04 Dec, 2020 06:10 PM

शरीर से मोह त्यागकर जैन धर्म का सर्वोत्तम तप संथारा लेकर देह त्यागने वाले जैन विद्वान डॉ. सागरमल जैन गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। मृत्यु का उत्सव मनाते हुए संथारा लेने वाले डॉ. जैन की अंतिम विदाई का दृश्य भी अलग ही देखने को मिला। यह पहला मौका...

शाजापुर: शरीर से मोह त्यागकर जैन धर्म का सर्वोत्तम तप संथारा लेकर देह त्यागने वाले जैन विद्वान डॉ. सागरमल जैन गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। मृत्यु का उत्सव मनाते हुए संथारा लेने वाले डॉ. जैन की अंतिम विदाई का दृश्य भी अलग ही देखने को मिला। यह पहला मौका था कि उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए निकाली गई यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होकर श्मशान पहुंची।

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जैन समाजजनों ने इस यात्रा को डॉ. जैन की निर्वाण यात्रा बताया है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जैन विद्वान डॉ. जैन ने पूरे जीवन में जैन, बौद्ध व हिंदू धर्म ग्रंथों की लोगों को शिक्षा दी है। डॉक्टर जैन ने शिकागो, ह्यूस्टन, न्यूजर्सी,उत्तरी कैरोलिना, वाशिंगटन, लांस एंजिल्स, फिनिक्स, सेंट लुईस, पिट्सबर्ग, टोरंटो, न्यूयॉर्क, कनाडा, लंदन आदि स्थानों पर जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म पर व्याख्यान दिए। अंतिम समय में उन्होंने संथारा लेकर जो तप किया, वह संत भी नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि उन्हें डोल में विराजित कर अंतिम संस्कार से पहले निर्वाण यात्रा निकाली गई।

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संक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुए अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास के बाहर रखी गई डोली के पास लगातार बढ़ती भीड़ को देख परिजन ने पूरे शहरवासियों को दर्शन कराने के लिए निर्वाण यात्रा का रूट शहर से होकर कर दिया।

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डॉक्टर सागरमल जैन ने भोपाल के हमीदिया कॉलेज में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी शिक्षा दी थी। शिवराज सिंह चौहान उन्हें अपना गुरु मानते थे और शाजापुर पहुंचकर कुछ साल पहले उनका नागरिक अभिनंदन भी किया था। डॉक्टर सागरमल जैन को 2018 में दुर्लभ प्राकृत भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान पर राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए भी चुना गया था और 4 अप्रैल 2019 को उन्हें उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया था।

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संथारा जैन धर्म में एक क्रिया है जिसे स्वेच्छा पूर्वक मृत्यु वरण, समाधि मरण या पंडित मरण कहा जाता है जिसमें जब व्यक्ति को अपनी मृत्यु का आभास हो जाता है तो वह अपनी इच्छा से अन्नजल का त्याग कर देता है और मृत्यु को प्राप्त होता है उसे संथारा कहा जाता है।

 

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