CM मोहन ने देखे वर्ल्ड हेरिटेज स्पॉट, सोशल मीडिया पर बताया क्या और क्यों हैं खास, देखकर आप भी कह उठेंगे Wow..!

Edited By Himansh sharma, Updated: 31 Jan, 2025 02:05 PM

chief minister mohan yadav reached the world heritage spot

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देखे वर्ल्ड हेरिटेज स्पॉट

टोक्यो/भोपाल।  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जापान दौरे के चौथे दिन 31 जनवरी को कई मंदिरों-टूरिज्म स्पॉट का दौरा किया। उन्होंने क्योटो शहर में किंकाकु-जी यानी गोल्डन पवेलियन, निजो कैसल, सांजुसांगेदों सहित कई वर्ल्ड हेरिटेज देखे। सीएम डॉ. यादव आज टूरिज्म स्पॉट देखने के साथ-साथ कई अहम बैठकें करेंगे। वे जापान के उच्च अधिकारियों के साथ मध्यप्रदेश में टूरिज्म-कल्चरल पार्टनरशिप को लेकर चर्चा करेंगे। इसके अलावा सीएम डॉ. मोहन यादव उद्योगपतियों-निवेशको से भी चर्चा करेंगे। उन्हें ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (GIS) के लिए आमंत्रित करेंगे। गौरतलब है कि, उनकी जापान यात्रा अंतिम पड़ाव पर है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई उद्योगपतियों-निवेशकों से मध्यप्रदेश में निवेश को लेकर वन-टू-वन चर्चा की। उन्होंने निवेशकों को मध्यप्रदेश में निवेश के अवसरों और फायदों के बारे में बताया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने जापान के निवेशकों के साथ टूरिज्म-इंडस्ट्री सहित हर सेक्टर पर विस्तार से बातचीत की।

बता दें, सीएम डॉ. मोहन यादव ने जिस गोल्डन पवैलियन यानी किंकाजु-जी मंदिर को देखा उसमें भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को रखा गया है। इस मंदिर को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा साल 1994 में  मिला। बताया जाता है कि, साल 1185 से लेकर साल 1333 तक यहां कामाकुरा काल था। सायनजी परिवार यहां राज करता था। यह जगह इतनी खूबसूरत थी कि हर राजा इसे अपने कब्जे में लेना चाहता था। समय के साथ साल 1392 से लेकर 1573 में यहां मुरोमाची काल आ गया। इस काल के अशिकागा शोगुन योशिमित्सु ने अपना महल बनाने के लिए सायनजी परिवार से यह जगह छीन ली। यह महल वास्तुकला का केंद्र है। यह जगह पृथ्वी पर स्वर्ग का अहसास कराती है।

PunjabKesariइतना खास है निजो-कैसल

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सबसे पहले क्योटो के निजो-कैसल के दर्शन किए। इसे देखने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया 'एक्स' पर लिखा कि निजो-कैसल जापान की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। आज विश्व धरोहर, सांस्कृतिक-ऐतिहासिक स्थल जापान की भव्यता और समृद्धि को दर्शाता है। बता दें, इस कैसल यानी महल का सतह क्षेत्र 2 लाख 75 हजार वर्ग मीटर (27.5 हेक्टेयर; 68 एकड़) है। इसमें से 8 हजार वर्ग मीटर (86,000 वर्ग फुट) में इमारतें बनी हैं। महल में किलेबंदी वलय (कुरुवा), निनोमारू महल, होनमारू महल के खंडहर, कई प्राचीन इमारतें और कई गार्डन हैं। बताया जाता है कि इसका निर्माण 1601 में शुरू हुआ और 1626 में पूरा हुआ। 

PunjabKesariइस तरह बना तो-जी मंदिर

सीएम डॉ. मोहन यादव ने तो-जी टेंपल के भी दर्शन किए। इस मंदिर का निर्माण 794 में हुआ. तो-जी का अर्थ 'पूर्वी मंदिर' है। दरअसल, उस जमाने में जापान की राजधानी नारा थी। समय के साथ राजधानी नारा को क्योटो ट्रांसफर कर दिया गया था। जैसे ही शाही परिवार यहां आया, वैसे ही इस शहर का नाम बदल दिया गया। इसे 'द इंपीरियल सिटी ऑफ हेयानक्यो' कहा जाने लगा। यहां शानदार सड़कें बनाई गईं। शाही परिवार ने हेयानक्यो के मुख्य प्रवेश द्वार पर दो विशाल मंदिर बनवाए। एक पूर्व और दूसरा पश्चिम में। पश्चिम का मंदिर अब नष्ट हो चुका है, लेकिन पूर्वी मंदिर यानी तो-जी अभी भी मौजूद है।

PunjabKesariइंसान की पीड़ा हरने वाली दया की देवी

सांजुसांगेदों मंदिर की स्थापना 1164 में हुई थी। इसमें दया की देवी कन्नन की 1001 मूर्तियां हैं। बताया जाता है कि, एक बार आग से यह मंदिर पूरी तरह नष्ट हो गया था। बाद में इसका पुनर्निमाण किया गया. यह मंदिर 120 मीटर लकड़ी से बनी अद्भुत संरचना है। 1000-सशस्त्र कन्नन 11 सिरों वाले हैं। मनुष्यों की पीड़ा को वे बेहतर ढंग से देख सकें इसलिए उन्हें इतने सिर दिए गए है। लोगों को पीड़ा से मुक्ति दिलाने के लिए उनके पास 1000 हाथ हैं। वास्तविक देवी की मूर्ति की केवल 42 भुजाए हैं।

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