मूलभूत सुविधाओं से वंचित सरकारी स्कूल में बच्चे कर रहे चपरासी का काम, मंत्री बोले समस्या काफी गंभीर

Edited By Jagdev Singh, Updated: 16 Jan, 2020 12:12 PM

children peons work govt school deprive basic facilities problem very serious

मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए लगातार दावे और वादे कर रही है, लेकिन हालात हैं कि सुधरते नहीं। बात हो रही है बरगी विधानसभा के सिवनीटोला गांव के शासकीय स्कूल की, जहां स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। देखने में...

जबलपुर: मध्य प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए लगातार दावे और वादे कर रही है, लेकिन हालात हैं कि सुधरते नहीं। बात हो रही है बरगी विधानसभा के सिवनीटोला गांव के शासकीय स्कूल की, जहां स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। देखने में सर्वसुविधायुक्त इस स्कूल में टॉयलेट तो बने हैं, लेकिन फिर भी बच्चे टॉयलेट में नहीं जाते, इसकी वजह है यहां सफाई का ना होना और टॉयलेट में पानी का इंतजाम ना होना। शासकीय स्कूल में समस्या सिर्फ टॉयलेट तक ही सीमित नहीं है बल्कि यहां और भी अव्यवस्थाएं हैं।

गांव के स्कूल में पढ़ने वाले छात्र- छात्राएं ही पढ़ाई छोड़कर शिक्षकों एवं अतिथियों को पानी पिलाते हैं। कहने को तो सफाई करना और लोगों को पानी पिलाना अच्छे संस्कार हैं, लेकिन ये संस्कार बच्चों को पढ़ाई छोड़कर सीखने पड़ रहे हैं, जो शिक्षा और स्कूलों की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। स्कूल के एक छात्र से जब पूछा गया कि वह टॉयलेट का इस्तेमाल क्यों नहीं करते तो उसने मासूमियत से जवाब दिया कि टॉयलेट गंदे रहते हैं, सफाई नहीं होती। साथ ही अकसर पानी भी नहीं होता है। अब आप समझ सकते हैं कि बच्चे इन स्कूलों में क्या सीख रहे हैं।

इस दौरान स्कूल में बच्चों से काम कराने के सवाल पर शिक्षक ने बताया कि वे 2012 से इसी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन आज तक ना तो यहां कोई सफाईकर्मी नियुक्त हुआ और ना ही किसी चपरासी की व्यवस्था ही की गई है। जिससे सफाई और अन्य कामकाज बच्चों और शिक्षकों के जिम्मे ही रहते हैं। इस स्कूल में हाल ही में बरगी विधायक संजय यादव पहुंचे थे, जिन्होंने सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

वहीं विधायक का कहना है कि बीते 15 सालों में बीजेपी सरकार ने स्कूलों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जिससे हालात बहुत खराब हैं। वहीं गांव के सरपंच और सचिव भी इसके लिए दोषी हैं जो विधायकों मंत्रियों से रंगमंच और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए तो पैसे ले लेते हैं, लेकिन स्कूलों के लिए कभी कोई प्रस्ताव नहीं भेजते। वहीं मंत्री ने कहा कि समस्या काफी गंभीर है। स्कूलों में बच्चों से काम कराने की शिकायत जिले के प्रभारी मंत्री तक भी पहुंची। उन्होंने भी इसे गलत माना। प्रभारी मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि वे इस समस्या को गंभीरता से लेंगे।

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