CM कमलनाथ ने मिंटो हॉल में रॉयल क्यूजींस फूड फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह का किया शुभारंभ

Edited By Jagdev Singh, Updated: 26 Dec, 2019 06:18 PM

cm inaugurates ceremony of royal cuisine food festival in minto hall

मध्यप्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिंटो हॉल में चार दिवसीय ''द रॉयल क्यूजिन फूड फेस्टिवल'' आज से शुरू हो गया। गुरुवार को इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया। खाना-खजाना को लेकर हो रहे इस अनूठे और पहले कार्यक्रम में प्रदेश के 10...

भोपाल: मध्यप्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिंटो हॉल में चार दिवसीय 'द रॉयल क्यूजिन फूड फेस्टिवल' आज से शुरू हो गया। गुरुवार को इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया। खाना-खजाना को लेकर हो रहे इस अनूठे और पहले कार्यक्रम में प्रदेश के 10 राजघरानों के 60 से अधिक शाही व्यंजन परोसे गए हैं।

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, "आज मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आवश्यकता है पहचान बदलने की। प्रदेश का प्रोफाइल चेंज करना होगा। प्रदेश के रॉयल क्यूजींस इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मध्य प्रदेश की गिनती आज भी देश के पिछड़े राज्यों में होती है, इस प्रोफाइल को बदलना है। राजस्थान ने 10-12 महल पर्यटन के लिए दे दिए और वह राजविलास बन गए, कुछ विलास बन गए। राजस्थान 30 साल पहले तक टूरिज्म सर्किट में नहीं था, वह टूरिज्म ट्रैंगल में आ गया।"

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मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आगे कहा, "मध्य प्रदेश ऐसा क्यों नहीं कर सकता है? देश में जब तक पहचान नहीं बनेगी, तब तक न तो यहां कोई निवेश आएगा और न ही टूरिज्म आएगा। हम टाइगर कैपिटल हैं, लेकिन लोग जिम कार्बेट या रणथंभौर चले जाते हैं। दिल्ली से नजदीक होने पर यही ब्रांड नेम बने हुए हैं। हमारे भी ब्रैंड नेम हैं, कान्हा, बांधवगढ़ और पेंच नेशनल पार्क। परंतु इनका प्रोफाइल इतना अच्छा नहीं है। हमें प्रोफाइल चेंज करना है, जिसका एक अंग हैं रॉयल क्यूजींस का ये फूड फेस्टिवल। इसे केवल भोपाल तक सीमित क्यों रखा जाए। रॉयल क्यूजींस को मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू और अमृतसर में क्यों न करें। जहां पर खाने के बहुत शौकीन लोग हैं।" 

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सीएम कमलनाथ ने कहा कि 'कुकिंग एक ऐसी चीज है, जो आर्ट भी है और क्राफ्ट भी है और हम इसमें मास्टरी रखते हैं। इतिहास रखते हैं। हमारे राजघरानों के पास कुकिंग का इतिहास है, जो वह बता सकते हैं। हमारे मप्र का झंडा भी थोड़ा ऊंचा उठे। बड़े-बड़े राज्यों से हमारी तुलना होनी चाहिए।'  यहां पर भोपाल, सैलाना, रीवा, नरसिंहगढ़, झाबुआ, कुरवई, होलकर, जावरा, गढ़ा राजघरानों के प्रतिनिधि, खानसामे और जाने-माने शेफ इसमें शामिल हुए हैं। इस आयोजन में विजिटर्स के लिए फोटो बूथ, सेल्फी पॉइंट, प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स से फोटो खिंचवाने की भी व्यवस्था है। इस आयोजन में प्रवेश केवल आमंत्रण से ही है।

रीवा के महाराज पुष्पराज सिंह और झाबुआ के महाराज जय सिंह ने अपने घरानों के प्रसिद्ध शाही व्यंजन खुद तैयार किए और उन्हें परोसा गया। रीवा के महाराज ने इंद्रहार कढ़ी और झाबुआ के महाराज ने नेपाली कोरमा मासू पेश किया।

मध्य प्रदेश पर्यटन के सचिव और मध्य प्रदेश पर्यटन टूरिज्म बोर्ड के एमडी फैज अहमद किदवई ने बताया कि फेस्ट में प्रदेश के 10 राजघरानों भोपाल, सैलाना, रीवा, नरसिंहगढ़, झाबुआ, कुरवई, होल्कर, जौरा और गढ़ा जैसे राजघरानों के प्रतिनिधि सहित राजघरानों में इन व्यंजनों को तैयार करने वाले शेफ्स, कुक्स और खानसामों के दल शामिल हैं। मध्य प्रदेश पर यह उनके लिए बेहद खास होगा, जो हमेशा से शाही संस्कृति और व्यंजनों का अनुभव करना चाहते हैं। प्रदेश के शाही घरानों की मेहमान नवाज़ी देखने को मिल रही है।

हम पुराने पारिवारिक व्यंजन पेश करेंगे। सबसे खास होगा खड्डमुर्ग। इसमें मुर्गे को मैरिनेट करने के लिए विशेष मसालों का उपयोग होता है, जो बाजार के मसालों से अलग होते हैं। फिर मोटी रोटियों में लपेटकर सुतली से बांधा जाता है और जमीन में गड्ढा करके पकाया जाता है। मेरे बड़े भाई सुमेर सिंह ने इसमें महारथ हासिल की, इसलिए इसका नाम अब खड्डमुर्ग सूमेरू हो गया है। - रणवीर सिंह, गढ़ा और सैलाना राजघराना

मेवाड़ स्टेट की 400 वर्ष पुरानी सरवनिया जागीर राजसी स्वाद की सौगात ला रही है। वर्षों पुराने राजसी स्वाद का जादू समेटे हुए व्यंजन जैसे, मटन पुलाव, कॉकटेल फिश, दही कबाब, जमीन के कबाब, दाल सरवनिया, पलाक हलवा आदि प्रस्तुत किए जाएंगे। - महाराज रविप्रताप सिंह राणावत, सरवनिया राजघराना
होलकर राजघराने की सिग्नेचर डिशेज बटेर सुर्वेदार, स्मोक्ड अनार रायता, रोसोगुल्ला इस्प्रेसो, योगहर्ट विद स्पिनच गुआवा लोंजी आदि सर्व किए जाएंगे। इन्हें शेफ कृष्णा कुमार भुजले तैयार करेंगे। - होलकर राजघराना

400 साल पुरानी नरसिंहगढ़ रियासत के व्यंजनों में शाही गोश्त प्रमुख है। यह जंगल की डिश है, जिसमें केसर, काजू, बादाम, खोया, खड़े मसाले मिलाते हैं और लकड़ी के चूल्हे पर पकाते हैं। वहीं उमतवाड़ काली मिर्च चिकन, व्हाइट ग्रेवी का चिकन होता है। - महाराज कुमार विश्व प्रताप सिंह, नरसिंहगढ़

जौरा रियासत प्रमुख रूप से चिकन सुनहरी, मटन स्टयू, चिकन अंगारा, कराची मटन चॉप, कीमामी सेवाइयां, फिश कबाब, बटरे भंजुमा, लौकी का हलवा, शाही टुकड़ा आदि लेकर आएगा। - कुंवर नितिराज सिंह, जौरा रियासत

हमारा राजघराना मटन बांधवेश, गुलाब चिकन दम, इंद्राहार, धोख जैसे व्यंजन लेकर आ रहा है। यह सभी व्यंजन परंपरागत तरीके से बनाए जाते हैं। इनमें मटन बांधवेश ऐसा है, जो आपने कहीं भी नहीं खाया हाेगा। इसमें काजू की ग्रेवी, गर्म दूध, केसर, खड़े मसाले (रोस्ट करके पीसे जाते हैं) आदि सामग्रियां डाली जाती हैं। चूल्हे पर स्लो कुकिंग इसे अलग ही स्वाद और खुशबू देते हैं। - महाराज पुष्पराज सिंह, रीवा राजघराना

झाबुआ राजघराना 450 साल पुरानी रवायतों को निभा रहा है। हम मटन शाही पसंदा लेकर आ रहे हैं। यह 1940 से हमारे यहां बनाया जा रहा है, जिसमें कश्मीरी पाक कला का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। वहीं कूरमा मासू में मालवी स्वाद के साथ नेपाली जायके भी मिलेंगे।- महाराज कुमार जय सिंह, झाबुआ राजघराना

भोपाल राजघराना मकई शोरबा, सोया कीमा मटर, जर्दा पुलाव, चुकंदर का हलवा, मुर्ग जाफरानी शोरबा, पालक शोरबा, चुकंदर के कबाब, गोश्त के पसंदे, बैगन मिर्च का शोरबा, मुर्ग भोपाली रिजाला लाएगा। कुरवई राजघराना दम पुख्त चिकन बिरयानी जैसे व्यंजन लाएगा। - भोपाल और कुरवई राजघराना

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