Edited By meena, Updated: 27 Nov, 2023 02:42 PM

आज कार्तिक पूर्णिमा है और नर्मदा की नगरी नर्मदापुरम में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है
नर्मदापुरम(गजेंद्र राजपूत): आज कार्तिक पूर्णिमा है और नर्मदा की नगरी नर्मदापुरम में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा और तवा के संगम बांद्राभान में क्षेत्रीय संस्कृति के पर्व बांद्राभान मेले का आयोजन होता है। सुबह से ही नर्मदा घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की खासी भीड़ है। खासकर बांद्राभान में अलसुबह से दोपहर तक करीब 50 हजार श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा घाटों और मेला परिसर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर इंतजाम किए गए हैं।

पंडित भालचंद्र खड्डर ने बताया कि पौराणिक मान्यतानुसार एक राजा के वानर मुख के श्राप का निदान कार्तिक पूर्णिमा पर संगम स्नान करने से हुआ था। इसीलिए यहां कार्तिक पूर्णिमा पर जिले एवं आसपास से लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। साथ ही बैतूल एवं छिंदवाड़ा के लोगों की देव पूजा इसी मेले में होती है। इसीलिए तीन दिन तक चलने वाले मेले में आदिवासी परिवार अपने देवताओं की पूजन के लिए यहां आते हैं।
नर्मदा तवा संगम बांद्राभान नर्मदापुरम सहित आसपास के क्षेत्रों में विशेष श्रद्धा का केंद्र रहता है। नर्मदापुरम हरदा बैतूल और छिंदवाड़ा सहित अन्य जिलों के श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा तवा के संगम पर लगने वाले मेले में स्नान के लिए विशेष रूप से पहुंचते हैं। खासतौर पर आदिवासी परिवारों में यह मेला विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने साथ मोर पंख से बनी थाल लेकर यहां आते हैं और बड़ा देव की पूजन के बाद ढाल को नर्मदा में विसर्जित करते हैं। श्रद्धालुओं ने बताया कि यह परंपरा आदि काल से चली आ रही है जिसके निर्वहन के लिए परिवार सहित लोग यहां पहुंचते हैं।