Edited By meena, Updated: 06 Jun, 2025 08:17 PM

बालाघाट के वारासिवनी जनपद अध्यक्ष रही माया उइके ने अपने आपको फर्जी रूप से अनुसूचित जनजाति का बताकर...
बालाघाट (हरीश लिल्हारे): बालाघाट के वारासिवनी जनपद अध्यक्ष रही माया उइके ने अपने आपको फर्जी रूप से अनुसूचित जनजाति का बताकर जनपद सदस्य का चुनाव लड़ा और फिर जनपद अध्यक्ष बन गई। किंतु पिछले साल जनपद सदस्य जितेंद्र राजपूत द्वारा जनपद पंचायत वारासिवनी के पद पर हुए निर्वाचन को अवैध एवं शून्य घोषित करने की मांग करते हुए जनपद अध्यक्ष वारासिवनी माया उइके को पद से पृथक किये जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसमें इनके द्वारा मुख्य रूप से उल्लेख किया गया था कि वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में जनपद पंचायत वारासिवनी के क्षेत्र क्रमांक 01 से माया उइके ने नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किया था। निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 01 अनुसूचित जनजाति (महिला) वर्ग के लिए आरक्षित था।
आवेदन में यह आरोपित किया गया था कि अनावेदिका द्वारा रिटर्निंग अधिकारी को नाम निर्देशन पत्र के साथ आवश्यक जाति प्रमाण-पत्र संलग्र नहीं किया गया था। अपितु एक झूठे शपथ-पत्र के माध्यम से स्वयं को अनुसूचित जनजाति वर्ग का सदस्य दर्शाते हुए चुनाव में भाग लिया गया तथा विजय प्राप्त की थी। इस संदर्भ में यह शिकायत की गई थी कि क्षेत्र क्रमांक 01, जनपद पंचायत वारासिवनी के सदस्य के रूप में तथा उस आधार पर अध्यक्ष, जनपद पंचायत वारासिवनी के रूप में अनावेदिका का निर्वाचन अमान्य एवं शून्य घोषित किया जाए। यह मामला बालाघाट कलेक्टर न्यायलय में लगाया गया था जिसके आधार पर जिलाध्यक्ष दंडाधिकारी कलेक्टर मृणाल मीणा के द्वारा तमाम दस्तावेजों के परीक्षण और सुनवाई के बाद जनपद अध्यक्ष वारासिवनी उइके के चुनाव और अध्यक्ष पद को अमान्य करार देते हुए शून्य घोषित किया गया।