इंदिरा होना आसान नहीं...मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय के बाहर लगा पोस्टर, सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

Edited By meena, Updated: 13 May, 2025 06:27 PM

it is not easy to be indira poster put up outside mpcongress office

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस हमलावर है...

भोपाल : भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस हमलावर है। कांग्रेस ने भारत-पाक के तनाव के बीच सीजफायर को लेकर पोस्टर के जरिए निशाना साधा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने राजधानी भोपाल में अपने कार्यालय के बाहर इंदिरा गांधी के पोस्टर लगाया है। पोस्टर पर लिखा इंदिरा गांधी होना आसान नहीं india Misses Indra। इस पोस्टर में राहुल गांधी, जीतू पटवारी के साथ अन्य नेताओं के फोटो लगे हुए हैं।

22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर शुरु किया गया था। इसके बाद पाकिस्तान ने नापाक हरकते शुरु करते हुए सीमावर्ती राज्यों में ड्रोन अटैक शुरु कर दिए। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया और युद्ध के हालात पैदा हो गए। लेकिन गर्माए माहौल के बीच अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पोस्ट के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा की। लेकिन पाकिस्तान ने सीजफायर के कुछ ही घंटों बाद फिर से भारत के कुछ राज्यों में ड्रोन अटैक किए और सीजफायर तोड़ दी। इसी के बाद इंदिरा गांधी को याद करते हुए पोस्टर सामने आए, जिससे राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है।

आखिर क्या है इंदिरा गांधी का सीजफायर से कनेक्शन

1971 में बांग्लादेश और भारत के बीच हो रही जंग के दौरान तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई बड़े और साहसी फैसले लिए। इंदिरा गांधी ने अमेरिका की हर एक बात को, हर एक नसीहत को, हर एक धमकी को नजरंदाज किया और वो फैसले किए जो सिर्फ भारत के हक में थे। बात 1971 की है, तब आज के बांग्लादेश और तब के पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना कत्ल-ए-आम कर रही थीष वहां के लोग भागकर भारत में शरण ले रहे थे। ऐसे में नवंबर 1971 में इंदिरा गांधी पहुंची अमेरिका, ताकि अमेरिकी  राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से बात की जा सके। लेकिन निक्सन ने इंदिरा गांधी को करीब 45 मिनट तक इंतजार करवाया और जब मिले भी तो पूर्वी पाकिस्तान पर कोई बात नहीं हुई। इंदिरा गांधी वापस लौंटी, पाकिस्तान से जंग हुई और जंग तब खत्म हुई जब बांग्लादेश नया देश बना और पाकिस्तान के 91 हज़ार सिपाहियों ने सरेंडर कर दिया। इस जंग के दौरान अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था, लेकिन इंदिरा ने अमेरिका की कोई परवाह नहीं की। हालांकि रूस भारत के साथ था।

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