पॉक्सो अधिनियम बच्चों के सम्मान और सुरक्षा की गारंटी है : मंत्री निर्मला भूरिया

Edited By Himansh sharma, Updated: 07 Aug, 2025 07:29 PM

nirmala bhuria said that pocso act is a guarantee of respect and safety of child

मंत्री भूरिया ने बताया कि सरकार ने 137 बाल देखरेख संस्थाओं के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों को आश्रय और पुनर्वास की सुविधा दी है।

भोपाल। महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा है कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 "पॉक्सो एक्ट" बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है। इस कानून की जानकारी जन-जन तक पहुँचना अत्यंत आवश्यक है, जिससे बच्चे शोषण का शिकार न हों। मंत्री भूरिया गुरूवार को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेशन सेंटर में मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित क्षेत्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि बाल आयोग के अध्यक्ष द्रविन्द्र मोरे के नेतृत्व में बाल संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य हो रहे हैं। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के विरुद्ध किसी भी प्रकार का यौन अपराध गंभीर और संज्ञेय है, इसके लिए पॉक्सो एक्ट में कठोर सजा का प्रावधान है। मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई कर दोषियों को मृत्युदंड तक दिलवाया है, जो राज्य की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आमजन को इस कानून के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। जब तक समाज सजग नहीं होगा, तब तक बच्चों की सुरक्षा अधूरी रहेगी। हमें परिवार, मोहल्ला, विद्यालय सभी स्तरों पर निगरानी रखनी होगी।

बच्चों की देखरेख और पुनर्वास की ठोस व्यवस्था

मंत्री भूरिया ने बताया कि सरकार ने 137 बाल देखरेख संस्थाओं के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों को आश्रय और पुनर्वास की सुविधा दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के अंतर्गत मध्यप्रदेश के 435 अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता, छात्रवृत्ति और भविष्य निधि का लाभ दिया गया है। वर्तमान में मिशन वात्सल्य के अंतर्गत 13 हजार 146 बच्चों को प्रायोजन और फोस्टर केयर के अंतर्गत सहायता दी जा रही है। मंत्री भूरिया ने यह भी उल्लेख किया कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने वर्ष 2021 में “मध्यप्रदेश बाल संरक्षण नीति 2020” को अधिसूचित किया। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में हर 15 दिन में एक बार पॉक्सो अधिनियम पर जागरूकता सत्र अनिवार्य किया जाए, जिससे बच्चों को अपने अधिकारों और सुरक्षा के उपायों की जानकारी मिल सके।

उन्होंने CWC सदस्यों से आग्रह किया कि वे बच्चों से मानवीय और संवेदनशीलता से मिलें, जिससे बच्चे विश्वास के साथ अपनी बात रख सकें और सही कदम समय पर उठाए जा सकें। उन्होंने बाल आयोग के अध्यक्ष  मोरे और उनकी टीम की सराहना करते हुए कहा कि आयोग के सदस्य लगातार दौरे कर रहे हैं और शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई की जा रही है। मंत्री भूरिया ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे बच्चों के हित का विशेष ध्यान रखते हैं, यह उनकी संवेदनशीलता और प्रदेश के भविष्य के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

बच्चों का संरक्षण देश की सामूहिक जिम्मेदारी : धर्मिष्ठाबेन 

गुजरात बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष धर्मिष्ठाबेन वी. गज्जर ने भी कार्यशाला को संबोधित किया। उन्होंने बच्चों के संरक्षण को देश की सामूहिक ज़िम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में बाल अधिकार आयोग अपनी-अपनी  संरचनाओं और कार्यपद्धतियों के माध्यम से बच्चों के हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। संकट की घड़ी में अनेक विभाग—चाहे वह बाल कल्याण समिति हो, पुलिस इकाई हो या महिला एवं बाल विकास विभाग हो, सभी आपसी समन्वय से बच्चों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच का निर्माण करते हैं। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि बच्चों से जुड़ी सभी संस्थाओं और तंत्रों को एक-दूसरे के कार्यों में समन्वय स्थापित करना चाहिए और इस भावना से जुड़ते हुए संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए, जिससे हर बच्चे को सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिल सके।

मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री द्रविन्द्र मोरे ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए। प्रत्येक प्रकरण का समयबद्ध एवं न्यायोचित निराकरण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये यह अनिवार्य है कि शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास के क्षेत्रों में अपने वाली चुनौतियों का सजग रहकर समाधान किया जाये। श्री मोरे ने कहा कि समाज के वंचित एवं संवेदनशील वर्गों से आने वाले वलनरेवल बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस दिशा में प्रवासी श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा एक गंभीर विषय है। उन्होंने बताया कि प्रवासी परिवारों के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा हिन्दी माध्यम की प्रारंभिक कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं, जो अत्यंत प्रशंसनीय है।

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, जनजातीय कार्य, विशेष किशोर पुलिस इकाई, सीडब्ल्यूसी (CWC) और जेजेबी (JJB) के सदस्यों को पॉक्सो एक्ट के कानूनी और व्यावहारिक प्रावधानों का प्रशिक्षण भी दिया गया।

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