Edited By meena, Updated: 24 Dec, 2024 07:45 PM
मध्यप्रदेश की पुण्यभूमि, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक गौरव के लिए प्रसिद्ध है...
भोपाल : मध्यप्रदेश की पुण्यभूमि, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक गौरव के लिए प्रसिद्ध है, अब एक और ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने जा रही है। 25 दिसंबर 2024 को मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर-कमलों से होगा। यह क्षण न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए विकास, जल संरक्षण एवं जल समृद्धि की दिशा में एक नया अध्याय लिखने वाला होगा, साथ ही यह भारत की जल क्रांति की नई गाथा लिखने का भी प्रतीक बनेगा। शुभ योग यह है कि परियोजना का भूमिपूजन आधुनिक भारत के स्वप्न दृष्टा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के दिन हो रहा है, जिन्होंने भारत के विकास के लिए अनेक सपने देखे थे, उनमें नदियों को जोड़ना विशेष रूप से शामिल था। उन्होंने इस दिशा में प्रारंभिक कदम भी उठाए थे।
वीडी शर्मा ने कहा कि पीएम मोदी का मानना है कि जल का संरक्षण केवल वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकता नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा है-“जल संचय केवल एक प्रयास नहीं, यह एक पुण्य है। इसमें उदारता और उत्तरदायित्व दोनों निहित हैं। आने वाली पीढ़ियां जब हमारा आकलन करेंगी, तो यह केवल हमारी आर्थिक उपलब्धियों या भौतिक विकास पर आधारित नहीं होगा। उनका पहला प्रश्न यही होगा कि हमने जल के प्रति क्या दृष्टिकोण अपनाया। जल का संरक्षण, प्रबंधन और इसके प्रति हमारी प्रतिबद्धता ही भविष्य में हमारी पहचान बनेगी।” यह विचार न केवल जल संरक्षण के महत्व को दर्शाता है इसीलिए उनकी जलनीतियां दीर्घकालिक हैं, जो न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान करती हैं, बल्कि भविष्य के लिए भी टिकाऊ मार्ग प्रस्तुत करती हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में शुरू हुए “जल शक्ति अभियान” और “हर घर जल” और कैच द रैन जैसे अभियानों ने करोड़ों भारतीयों के जीवन को परिवर्तित कर दिया है। उनकी योजनाएं यह सिद्ध करती हैं कि जल प्रबंधन में उनका दृष्टिकोण कितना प्रभावशाली और स्थायी है।
मध्यप्रदेश के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष लगाव समय-समय पर उनकी योजनाओं और निर्णयों से स्पष्ट होता है। उन्होंने हमेशा मध्यप्रदेश को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है। उनके प्रयासों से राज्य विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना मध्यप्रदेश के विकास में नई ईबारत लिखने जा रही है। केन-बेतवा लिंक परियोजना, जिस भूमि पर बन रही है, वह शौर्य, सम्मान और जनकल्याण के प्रतीक बुंदेलखंड की भूमि है, बुंदेलखंड की पवित्र भूमि ने ऐसे महापुरुषों को जन्म दिया है, जिन्होंने लोकहित को सर्वोपरि रखा। राजा छत्रसाल ने अपनी नीतियों और नेतृत्व से बुंदेलखंड के लोगों के कल्याण के लिए जो काम किए, उनकी गूंज आज भी सुनाई देती है। प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व भी राजा छत्रसाल के दृष्टिकोण का आधुनिक संस्करण है। उनकी योजनाएं और प्रयास बुंदेलखंड को जल संकट से उबारने और यहां की सूखी धरती को फिर से हराभरा बनाने के लिए समर्पित हैं।
मोदी के संकल्प का फल है कि 44,605 हजार करोड़ रूपये की केन-बेतवा लिंक जैसी बहुप्रतीक्षित परियोजना आज जमीन पर उतर रही है और इसने खजुराहो लोकसभा ही नहीं बल्कि सारे बुंदेलखंड की विभीषिका को समाप्त करने के मार्ग प्रशस्त कर दिए हैं। मध्यप्रदेश की 44 लाख एवं उत्तर प्रदेश की 21 लाख जनता को इससे पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी एवं दोनों राज्यों की 65 लाख जनता को सीधे तौर पर इसका फायदा होगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना का लाभ मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, सागर और दतिया के साथ-साथ शिवपुरी, विदिशा और रायसेन सहित उत्त्तवर प्रदेश के महोबा, झांसी, बांदा और ललिेतपुर को भी मिलेगा। इस कार्य के पूरा हो जाने से जहां 8 लाख 11 हज़ार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी वहीं 62 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा। बुंदेलखंड में आने वाले उत्तर प्रदेश के 2 लाख 52 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और पेय जल की सुविधा भी इससे मिल सकेगी। यही नहीं 103 मेगा वाट पनबिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी पैदा की जा सकेगी। परियोजना में ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को सहेजने का कार्य भी होगा। इन तालाबों से भूजलस्तर बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्र को फायदा तो होगा। कुल मिलाकर यह परियोजना भारत के जल संकट में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
वीडी शर्मा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक दृष्टा हैं। वे राजा भागीरथ, राजाभोज और छत्रसाल जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी जल नीति केवल भारत की जल समस्याओं का समाधान ही नहीं पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बनते हुए उन्हें जलपुरुष के रूप में स्थापित करती है। उनका प्रयास हमें यह विश्वास दिलाता है कि भारत न केवल अपने जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन करेगा, बल्कि जल समृद्धि के क्षेत्र में विश्व का पथप्रदर्शक भी बनेगा। मध्यप्रदेश की पवित्र भूमि से जल संरक्षण और जल समृद्धि का यह संदेश जब पूरे देश में गूंजेगा, तो यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि जल और जीवन की नई गाथा का आरंभ होगा।