Edited By Vikas kumar, Updated: 18 Dec, 2018 11:06 AM
कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही सिख समाज ने उनका इस्तीफा मांगा है। जबलपुर में कमलनाथ के सीएम बनने के बाद मदन महल चौक पर सिखों ने मौन धरना देकर विरोध जताया। सिख समाज का कहना था कि, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए दंगो में...
जबलपुर: कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही सिख समाज ने उनका इस्तीफा मांगा है। जबलपुर में कमलनाथ के सीएम बनने के बाद मदन महल चौक पर सिखों ने मौन धरना देकर विरोध जताया। सिख समाज का कहना था कि, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए दंगो में सिख समाज के हजारो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था, जिसके खिलाफ देश भर में सिख समाज इंसाफ के लिए लगातार अदालतों और सडको पर लड़ाई लड़ने का काम कर रहा है। जिसमें उसे एक सफलता सोमवार को मिली जब दिल्ली की अदालत ने सिख विरोधी दंगों के लिए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई। लेकिन अभी भी उन्हें पूरी तरह से इंसाफ नहीं मिला है। क्योंकि दंगा भड़काने वालों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ,जगदीश टाईटलर और मुख्यमंत्री कमलनाथ भी नाम शामिल था।
मदन महल चौक में विरोध कर रहे सिख समाज के लोगों में बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू भी शामिल थे। इस दौरान बब्बू ने कमलनाथ पर हमला बोतले हुए कहा कि, 1984 मे हुए सिख दंगो मे जहां हजारो लोगो की जान गई थी। वहीं दंगो मे उनके पिता को भी जिंदा जला दिया गया था। जिसकी पीड़ा वह भली भांति जानते हैं। इसलिए सिख समाज को हर कीमत पर इंसाफ चाहिए। जिस तरह सज्जन कुमार को सजा हुई है, उसी तरह बाकी दोषियों को भी सजा मिलनी चाहिए, जब कमलनाथ का नाम सिख दंगों में शामिल है तो एसी सूरत में उन्हें दोष मुक्त होने तक शपथ नहीं लेना चाहिए था।