Edited By meena, Updated: 18 Jul, 2025 07:38 PM

मध्यप्रदेश में व्यापम का जिन्न एक बार फिर चिराग से बाहर निकल आया है...
भोपाल (इजहार हसन) : मध्यप्रदेश में व्यापम का जिन्न एक बार फिर चिराग से बाहर निकल आया है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम घोटाले में आने के बाद उन्होंने व्यापम मामले में खुद का नाम घसीटे जाने पर सवाल उठाए और मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग की है। उमा भारती ने मध्यप्रदेश पुलिस की क्राइम ब्रांच के ‘कारनामे’ पर हैरानी और संदेह जताया। उन्होंने कहा कि ‘सीबीआई कम से कम ये जांच तो कर ले कि मेरा नाम कैसे आया। मैं आज तक नहीं समझ पाई हूं कि मेरा नाम कैसे आया। मैं स्वयं चाहती हूं कि सीबीआई इस तथ्य की जांच करे। क्या मेरे नाम की आड़ में बहुत नाम छोड़ दिए गए थे ? इसलिए मेरा नाम आगे किया गया ये जानना बहुत जरूरी है’। इतना ही नहीं उमा भारती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना निशाना साधा।
परिवार को प्रताड़ित करने के लगाए आरोप
उमा भारती ने कहा दो दिन पहले कांग्रेस और भाजपा पर परिवार को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे। शुक्रवार को एक बार फिर फायर ब्रांड के रुप में नजर आई। अपने सरकारी आवास पर बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमा भारती ने अपने परिवार की प्रताड़ना के इतिहास को 1990 से शुरु होना बताया..जब सुंदरलाल पटवा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि एक समय था जब भाइयों पर लूट डकैती के केस बने। दिग्विजय सिंह के समय हत्या के आरोप भाइयों पर हुए....लेकिन सब बरी हो गए। मुझपर और भाई भतीजों पर केस दर्ज किया गया।
दूसरा व्यापम... मेरा नाम व्यापम पर कैसे आया
मुझे सीबीआई और अन्य एजेंसियों पर भरोसा था। हैरानी जताते हुए कहा कि व्यापम मामले में मेरा नाम कैसे आया मैं खुद हैरान हूं। उन्होंने कहा कि ‘यह ठीक ऐसे ही है जैसे कहा जाए कि शुभांशु शुक्ला की जगह उमा भारती अंतरिक्ष में गई थीं।उमा भारती ने कहा कि वे सबसे अधिक दुखी अपनी मां की मृत्यु पर हुई और उसके बाद व्यापम में उनका नाम आने पर सबसे ज्यादा कष्ट हुआ। उस समय मेरी आंखों में आंसू आ गए। उस समय क्या मेरा नाम इसलिए लाया गया ताकि कुछ लोगों को छोड़ा जाय। इस दौरान कई लोगों की मृत्यु हुई है। दिल्ली से उठाया गया। 2005 से 2013 तक प्रताड़ित किया गया। सीबीआई ने जांच कर ली है पता नहीं। सीबीआई ने कहा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई। लेकिन हमारे पास साक्ष्य नहीं है। शुरू में किसका हाथ था?
तत्कालीन मुख्यमंत्री की भूमिका पर उठाए सवाल
उमा भारती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लिए बिना कहा कि हो सकता है कि उन्हें इस मामले में जानकारी न हो। उन्हें गुमराह किया गया हो। लेकिन गुमराह क्यों होना। समझ से और विवेक से काम क्यों नहीं लेना। मैं ये भी नहीं कहूंगी कि गुमराह लोग बहुत भोले थे।