एक अनोखी शादी...लड़के वालों ने लड़की पक्ष का पानी तक नहीं पिया...सिर्फ मैं तुझे कबूल तू मुझे कबूल, इस बात का गवाह खुदा

Edited By meena, Updated: 20 Dec, 2024 03:52 PM

unique marriage in a muslim family in chhatarpur

आजकल शादी विवाह में हो रही फिजूल खर्ची से जहां एक ओर बेटियों की शादी विवाह करने वाले परिजनों को कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है...

छतरपुर (राजेश चौरसिया) : आजकल शादी विवाह में हो रही फिजूल खर्ची से जहां एक ओर बेटियों की शादी विवाह करने वाले परिजनों को कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। तो वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो आपको एक नसीहत देने के साथ साथ समाज के लिए सबक भी बनते है। खजुराहो के फाइव स्टार होटल क्लार्क ने कार्यरत सेवाग्राम खजुराहो के रहने वाले सैय्यद साजिद अली और तबस्सुम ने अपने बेटे जेया हाशमी की शादी खजुराहो के मंजूर नगर निवासी शेख रहीम की पुत्री फिजा खान के साथ तय किया है। जिसकी शादी (निकाह) 17 दिसंबर 2024 को खजुराहो की जामा मस्जिद में मुस्लिम रीति रिवाज से संपन्न हुआ। यह शादी बहुत ही सादगी और सादे तरीके से तय शुदा तारीख को असर और मगरिब के बीच चंद लोगों की मौजूदगी में सम्पन्न हुई।

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लड़के के पिता बोले फिजूलखर्ची से बचे, छोटे-बड़े का एहसास नहीं सब बराबर हैं

लड़के के वालिद साजिद अली ने बताया कि यह शादी हमारे नबी पाक हजरत मुहम्मद सल्लाहों अलैहि वसल्लम के बताए एवं सरिया अनुसार यह निकाह सरे से की गई, जिसमें ना ही कोई बाराती रहा ना बैंड बाजे रहे, सिर्फ घर और खास रिस्तेदार मौजूद रहे इसके साथ ना ही कोई दहेज लेन-देन और ना ही कोई बेफिजूली, नेग-दस्तूर हुए। बड़ी ही सादगी और शांति से यह निकाह मुकम्मल हुआ है। वहीं अब निकाह बाद बहू के घर आमद पर सुन्नत की अदायगी करते हुए दावते वलीमा होगा।

समाज के लोगों और सभी जान से अपील

समाज के लोगों से मेरी अपील है कि इस तरह से ही मस्जिदों से निकाह करें, इससे फिजूलखर्ची नहीं होती, शादियां सीधी और सच्ची होनी चाहिए, अपने को बड़ा दिखाने के चक्कर में शादियां बेफिजुली और खर्चीली होती जा रहीं हैं। जिससे लोग अपने को छोटा-बड़ा आंकने लगते हैं। बड़े होने का दिखावा न करें और ना ही किसी को भी छोटे-बड़े का एहसास होने दें।

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यह शादी नज़ीर पैदा करेगी

निकाह कराने वाले हाफिज सादिक हुसैन पेश इमाम जामा मस्जिद खजुराहो से साब की तो उन्होंने बताया कि आज की इस शादी में सिर्फ परिजन और हाजरीन, गवाह लोग थे। यहां कोई दावत, वलीमा, खाना, पीना, बैंड, बाजे, बारात, आतिशबाज़ी नहीं थी। इससे पैसा भी बचा कोई फिजूलखर्ची भी नहीं हुई। यह समाज में अच्छा संदेश देने वाली शादी/निकाह था यह शादी दूसरों के लिए नज़ीर बनेगी। इसके लिए मैं दिनों तरफ के लोगों (लड़की वाले और लड़के वालों) को मुबारकबाद देता हूं और लोगों से कहना चाहूंगा कि ऐसे ही शादियां करें जो औरों को प्रोत्साहित करें और नज़ीर बनें।

संपन्न खाते-पीते परिवार से हैं दूल्हा-दुल्हन पक्ष

दूल्हा/दुल्हन (लड़का और लड़की) के परिजन 5 सितारा होटल खजुराहो में कार्यरत हैं जो अच्छा खासा वेतन पाते हैं। तो वहीं दूल्हा बाहर रहकर कंपनी में जॉब करता है तो वहीं दुल्हन हाऊस वाईफ है। वहीं दूल्हा-दुल्हन की मानें तो हमारे विवाह घर वालों की मर्जी से तय किए गए हैं और विवाह की हुई रस्मों-रिवाज से हम लोग बहुत खुश हैं।

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