Edited By meena, Updated: 26 Sep, 2023 02:14 PM

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 39 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में 7 सांसदों को जिनमें कि तीन केंद्रीय मंत्री शामिल है वहीं, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतारा है
भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 39 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में 7 सांसदों को जिनमें कि तीन केंद्रीय मंत्री शामिल है वहीं, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी मैदान में उतारा है। दूसरी लिस्ट में 7 कद्दावर उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें राष्ट्रीय राजनीति से सीधे अब बीजेपी ने विधानसभा में लड़ने के लिए भेज दिया है। इससे भी खास बात यह कि इस सूची में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य के 5 समर्थकों को भी शामिल करके भाजपा ने तालमेल बैठाने की कोशिश की है। इनमें इमरती देवी, रघुराज कंसाना, मोहन सिंह, बंटी बना और श्रीकांत चतुर्वेदी शामिल हैं। हालांकि कहीं कहीं से सिंधिया को निराशा का सामना भी करना पड़ा है।
इन सिंधिया समर्थकों को मिला टिकट
डबरा से इमरती देवी जो सिंधिया की बेहद करीबी मानी जाती है। भाजपा ने उनपर भरोसा जताया है। पार्टी ने इमरती देवी को डबरा से प्रत्याशी बनाया है। मुरैना की बात करें तो वहां से सिंधिया के समर्थक रघुनाथ कंसाना को पार्टी ने टिकट दिया है। वहीं ग्वालियर जिले की भितरवार विधानसभा सीट से भी सिंधिया समर्थक मोहन सिंह राठौड़ को टिकट मिला है। इस सीट से भाजपा की दिग्गज नेता गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के भांजे विवेक मिश्रा और ग्वालियर की भाजपा जिला अध्यक्ष कौशल मिश्रा भी दावेदारी जाता रहे थे, लेकिन यहां पर पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मोहन सिंह राठौड़ को टिकट दिया। राघोगढ़ से सिंधिया समर्थक हरिंदर सिंह बंटी बना को टिकट मिला है।

करैरा से कटा सिंधिया समर्थक का टिकट
हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक जसवंत जाटव का करैरा विधानसभा सीट से टिकट काट दिया गया है। 2018 में ये कांग्रेस विधायक चुने गए थे। इसके बाद सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। फिर 2020 में हुए उपचुनाव में जाटव कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार गए। अब साल 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने यहां से रमेश खटीक को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, दिमनी विधानसभा सीट से गिर्राज दंडौतिया को टिकट नहीं दिया गया है। गिर्राज भी सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे और उपचुनाव में हार गए थे।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पहली सूची में सिंधिया समर्थकों को जगह न मिलने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे लेकिन अब दूसरी सूची में सिंधिया समर्थकों को जगह मिलने पर भाजपा ने अच्छा तालमेल बैठाने की कोशिश की है। सिंधिया समर्थकों को टिकट मिलने की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि पिछले कुछ दिनों से बहुत से सिंधिया समर्थक ऐसे है जो नजरअंदाजी का आरोप लगाकर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।