Edited By meena, Updated: 24 Jul, 2025 04:17 PM
मध्यप्रदेश की राजनीति में धार जिले के मांडू की वादियों में आयोजित कांग्रेस के दो दिवसीय नव संकल्प शिविर ने न केवल कांग्रेस...
भोपाल।(इज़हार ख़ान) : मध्यप्रदेश की राजनीति में धार जिले के मांडू की वादियों में आयोजित कांग्रेस के दो दिवसीय नव संकल्प शिविर ने न केवल कांग्रेस पार्टी को एकजुट करने का कार्य किया, बल्कि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व को भी एक नई पहचान दिलाई है। यह शिविर 21-22 जुलाई को आयोजित हुआ, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायकगण और संगठन के प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए। इस आयोजन की सफलता महज़ एक कार्यक्रम की सफलता नहीं थी, बल्कि यह कांग्रेस संगठन के भीतर नेतृत्व, अनुशासन और विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता का भी परिचायक बना। शिविर में राहुल गांधी का वर्चुअल मार्गदर्शन, विचारधारा पर संवाद और जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा ने इसे एक चिंतनशील मंच बनाया।
मिशन 2028 की तैयारी
कांग्रेस ने "संकल्प–2028" के जरिए विधानसभा चुनाव से तीन साल पहले ही न केवल तैयारी की दिशा स्पष्ट कर दी, बल्कि एक संगठित और दीर्घकालिक रणनीति का संकेत भी दे दिया। इस शिविर ने यह भी दर्शाया कि कांग्रेस अब केवल विरोध की राजनीति से आगे बढ़कर एक समावेशी विकास और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित वैकल्पिक राजनीति का खाका खींच रही है।
शिविर की संरचना और उद्देश्य: संवाद से समाधान की ओर
इस शिविर में भाषणों से अधिक संवाद को महत्व दिया गया। विधायकों को 10-10 के समूहों में बांटकर समूह चर्चा करवाई गई, जिससे विभिन्न जमीनी मुद्दों पर गहन विचार–विमर्श हुआ और संभावित समाधान सामने आए। चर्चाओं के प्रमुख विषय रहे:
- जातिगत जनगणना की राजनीतिक आवश्यकता
- पेसा और वन अधिकार कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन
- सामाजिक संगठनों से जुड़ाव की रणनीति
- संगठन में युवाओं की भागीदारी और सांगठनिक विस्तार
- संगठन सृजन अभियान और कांग्रेस का जमीनी विस्तार।
- SHG, NGO, सहकारी संस्थाएं और समाजसेवी नेटवर्क।
- मध्यप्रदेश कांग्रेस रणनीति।
यह शिविर राजनीतिक आत्ममंथन की प्रयोगशाला रहा, जहां विधायकों ने आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा और प्राथमिकताओं पर सक्रिय भागीदारी निभाई।
राहुल गांधी का मार्गदर्शन: वैचारिक स्पष्टता और ऊर्जा का संचार
शिविर के पहले दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जोशपूर्ण भाषण देकर संगठन में नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था पर दो-चार बड़े उद्योगपतियों की पकड़ और उससे उत्पन्न सामाजिक असमानता को उजागर करते हुए, महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक अन्याय जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की वैचारिक प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि आगामी विधानसभा चुनावों में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और महिलाओं को शासकीय सेवाओं में प्रतिनिधित्व देना कांग्रेस के एजेंडे में प्रमुख रहेगा। साथ ही उन्होंने मतदाता सूची में संभावित गड़बड़ियों की आशंका जताते हुए पार्टी को सजग और सक्रिय रहने का संदेश भी दिया।
उमंग सिंघार की भूमिका
वैसे तो शिविर का आयोजन मध्यप्रदेश कांग्रेस और विधायकदल दोनों ने मिलकर किया लेकिन इस पूरे आयोजन के केंद्र में रहे नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार। उनकी नेतृत्व क्षमता, संगठनात्मक पकड़ और विज़न स्पष्ट रूप से सामने आया। उन्होंने इस शिविर को केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं बनने दिया, बल्कि इसे जनसरोकारों, विधायकों की भूमिका और पार्टी की विचारधारा से जोड़ा।
विधायकों को प्रेरित करना, पार्टी के प्रति उनकी जवाबदेही को दोहराना, और आगामी विधानसभा सत्रों में आक्रामक एवं ठोस विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना-यह सब उमंग सिंघार की कार्यशैली और सोच को दर्शाता है।
एकता का संदेश और मनमुटाव का खंडन
इस शिविर की सबसे बड़ी सफलता रही कि इसमें संपूर्ण विधायक दल की सहभागिता रही। इससे उन सभी अटकलों पर विराम लगा, जिन्हें भाजपा द्वारा 'मनमुटाव' के रूप में प्रचारित किया जा रहा था। शिविर में एकजुटता और संगठन की दृढ़ता का स्पष्ट प्रदर्शन हुआ।
राजनीतिक संदेश और भविष्य की झलक
'नव संकल्प शिविर' का संदेश स्पष्ट था-कांग्रेस अब आत्ममंथन के दौर से बाहर निकलकर जनमंथन की ओर बढ़ रही है। और इस दिशा में उमंग सिंघार की भूमिका निर्णायक हो रही है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि- उमंग सिंघार के लिए यह शिविर नई उमंग का प्रतिबिंब बन गया। उनकी मेहनत और समन्वय ने कांग्रेस को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की जमीन तैयार की।
संविधान से जुड़ाव और सांस्कृतिक सम्मान के साथ समापन
शिविर का समापन संविधान की प्रस्तावना की सामूहिक शपथ के साथ हुआ। इसके पश्चात आदिवासी लोकनृत्य की प्रस्तुति ने राजनीतिक आयोजन को सांस्कृतिक और सामाजिक गहराई से जोड़ दिया।
केवल राजनीति नहीं, विचार यात्रा की शुरुआत
मांडव का यह शिविर केवल चुनावी रणनीति का ट्रेलर नहीं, बल्कि समाज में संवैधानिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और जन अधिकारों की बहाली का ब्लूप्रिंट कहा जा सकता है। यह आयोजन कांग्रेस की ओर से वह वैचारिक जवाब है, जिसकी आज लोकतंत्र, समाज और खासकर मध्यप्रदेश की जनता को आवश्यकता है। मांडव से उठती कांग्रेस की यह नवचेतना यदि निरंतरता बनाए रखे, तो यह 2028 की नहीं, बल्कि भावी भारत की राजनीति में निर्णायक मोड़ सिद्ध हो सकती है।