लॉकडाउन में बोरियत से बचने के लिए चाचा से सीखा लाठी चलाना, अब नेशनल के लिए हुआ चार बहनों का सिलेक्शन, लेकिन गरीबी बनी समस्या

Edited By meena, Updated: 10 Jul, 2024 08:06 PM

four sisters in betul learned to wield lathis and got selected for bhutan

ये कहानी है मध्य प्रदेश के बैतूल की रहने वाली 4 बहनों की जो लॉकडाउन के दौरान घर में बैठे-बैठे बोर होने लगी...

बैतूल (विनोद पातरिया) : लॉकडाउन में जहां घर की महिलाओं ने बहुत सी डिशिज बनानी सीखी और घरवालों को खिलाई, वहीं बैतूल में चार बहनों ने ऐसा हुनर सीखा जिससे उन्हें गांव, प्रदेश क्या देश विदेश में प्रसिद्धी मिल गई। ये कहानी है मध्य प्रदेश के बैतूल की रहने वाली 4 बहनों की जो लॉकडाउन के दौरान घर में बैठे-बैठे बोर होने लगी। जब यह बात उन्होंने अपने चाचा को बताई तो चाचा ने अखाड़े में आकर कुछ सीखने का बोला। चारों बहनों ने बिना देर किए अखाड़े पहुंचकर लाठी चलाना सीखना शुरू किया। देखते ही देखते चारों बहनें लाठी चलाने में माहिर हो गई। नतीजा ये रहा कि वे प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी और कई मेडल भी जीते। अब चारों बहनों खुशी, रिया,रुचि और सिया का भूटान में आयोजित होने वाले दक्षिण एशिया लाठी स्पर्धा के लिए चयन हुआ है। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह इसमें शामिल नहीं हो पा रही है। यह प्रतियोगिता भूटान में 4 से 6 अगस्त तक आयोजित होना है।

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आर्थिक तंगी बनी सबसे बड़ी समस्या

खुशी के पिता विनोद भोंडे ने बताया कि चारों बहनों का चयन भूटान में होने वाले लाठी प्रतियोगिता के लिए हुआ है। भूटान जाने एवं अन्य खर्च मिलकर 20 हजार रुपए आ रहा है। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है जिसके कारण वे चाह कर भी उन्हें नहीं भेज पा रहे हैं। चारों बहनें लाठी खेलने उज्जैन, ग्वालियर, हरिद्वार सहित देश के कई शहरों में जा चुकी है और सिल्वर और गोल्ड मेडल जीत चुकी है। खुशी की मां कमला भोंडे ने बताया कि चारों बहनें बहुत अच्छा लाठी चलती है। कई प्रतियोगिता में मेडल भी जीत चुकी है। चारों बहनें देश के लिए खेलना चाहती है। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण और उन्हें सुविधा नहीं दे पा रहे हैं आर्थिक तंगी के कारण कई प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती।

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जब लोग घर से बाहर निकलने में घबराते थे बच्चियां लाठी चलाना सिखाती थी

कोच विनोद बुंदेले ने बताया कि लॉकडाउन में जब लोग घर से बाहर निकलने से घबराते थे, तब ये बच्चियां यहां प्रैक्टिस करती थी। चारों बहनों का भूटान में होने वाले दक्षिण एशिया लाठी प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण शामिल नहीं हो पा रही है। क्योंकि इनके पिता सैलून में काम करते हैं। वहीं आर्थिक तंगी के कारण कई खिलाड़ी बड़ी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाते।

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कोच विनोद ने बच्चों को लाठी सीखाने का लिया है संकल्प

पूरा जीवन पहलवानी, अखाड़े में लगा देने वाले 52 साल के विनोद व्यायाम शालाओं में युवकों को मलखंभ से लेकर लाठी चलाना, मुग्दल घुमाना, तलवार बाजी तक की शिक्षा देते हैं। लॉकडाउन लगा तो उन्होंने व्यायाम शाला के इन्हीं बच्चों को लाठी चलाने का हुनर सिखाने का संकल्प ले लिया। उन्होंने साल 2020 में बच्चों के साथ जमकर मेहनत की। इसका नतीजा यह हुआ कि उनके सिखाए खिलाड़ी अब जगह-जगह अपनी जीत का परचम लहरा रहे हैं।

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