Edited By meena, Updated: 16 Nov, 2020 12:48 PM
देशभर में दीपावली पर जहां साज सजावट, पूजा अर्चना और मिठाईयों से बाजार सजते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट धाम में हर बार की तरह दीपावली पर पांच दिवसीय मेले में ऐतिहासिक गधा बाजार लगा। हालांकि कोरोना संकट के चलते इसकी चमक थोड़ी फीकी...
सतना(रविशंकर पाठक): देशभर में दीपावली पर जहां साज सजावट, पूजा अर्चना और मिठाईयों से बाजार सजते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट धाम में हर बार की तरह दीपावली पर पांच दिवसीय मेले में ऐतिहासिक गधा बाजार लगा। हालांकि कोरोना संकट के चलते इसकी चमक थोड़ी फीकी तो रही लेकिन व्यापारी दूर दूर से गधे लेकर पहुंचे और मुगल शासक औरंगजेब के समय से चलती आ रही इस परंपरा को कायम रखा।
पांच दिन लगने वाले इस गधा बाजार में दूर दूर से लोग गधों की खरीदारी करने के लिए आते हैं। जन चर्चाओं और मान्यताओं के अनुसार चित्रकूट में मुगल शासक औरंगजेब के द्वारा सबसे पहले गधों का बाजार लगाने का फरमान जारी किया गया था। इस पांच दिवसीय मेले लगने के पीछे एक कथा बहुत प्रचलित है। मुगल शासक औरंगजेब को मंदिरों का विध्वंश करने वाले शासक के रुप में जाना जाता है।
बताया जा रहा है कि चित्रकूट में जब मुगल शासक औरंगजेब ने धर्म नगरी चित्रकूट के प्रसिद्ध मत्यगजेंद्र शिव मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया, उस समय उसकी सारी सेना में प्लेग नामक बीमारी फैल गई और उसकी सेना के घोड़े, गधे और खच्चर भी रहस्यमय बीमारी के चलते मरने लगे। परेशान मुगल शासक ने चित्रकूट के ख्याति प्राप्त संत से इसका कारण पूछा, तब संत ने बताया कि सम्राट आपके द्वारा प्राचीन शिव मंदिर को तोड़ जाने की कोशिश करने पर आपकी सेना और सेना के जानवरों की यह दशा हो रही है।
इसलिए यदि आप खुद और अपनी सेना को सलामत देखना चाहते हैं तो मंदिर को तोड़ने का काम बंद करवा दीजिए और प्रायश्चित के रुप में एक और मंदिर का निर्माण कराइये। संत की बात मानकर मुगल शासक ने शिव को तोड़ने का काम बंद करवाकर, जीर्णोद्धार कराते हुए नए मंदिर का निर्माण करवा दिया। जिसे आज भी बालाजी मंदिर या औरंगजेबी मंदिर के नाम से जाना जाता है और अपनी सेना के लिए गधे और खच्चरों का बाजार लगवाया। जो आज भी चित्रकूट में लगता चला आ रहा है।