Edited By meena, Updated: 24 Nov, 2020 05:46 PM
मध्यप्रदेश में उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार को भले ही स्थिरता मिल गई हो, लेकिन प्रदेश की राजनीति में अभी भी हलचल का दौर जारी है और सबसे अधिक हलचल देखी जा रही है सिंधिया के साथ दल बदलने वाले नए भाजपाई और पुराने कांग्रेसियों की खेमे में। अलग अलग...
भोपाल(हेमंत चतुर्वेदी): मध्यप्रदेश में उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार को भले ही स्थिरता मिल गई हो, लेकिन प्रदेश की राजनीति में अभी भी हलचल का दौर जारी है और सबसे अधिक हलचल देखी जा रही है सिंधिया के साथ दल बदलने वाले नए भाजपाई और पुराने कांग्रेसियों की खेमे में। अलग अलग क्षेत्र में संबंधित नेताओं ने अपने लिए गॉड फादर की तलाश शुरू कर दी है, जिनके सहारे वह भाजपा में बिना किसी समस्या के अपनी आगे की राजनीतिक यात्रा जारी रख सकें ।
सिंधिया को छोड़ भाजपाई क्षत्रपों के सहारे
दरअसल दल बदलने वाले नेताओं को लग रहा है, कि भाजपा के सिस्टम के मुताबिक सिंधिया के सहारे उनकी नैया पार होना आसान नहीं है। न तो उनकी बात आसानी के साथ सिंधिया तक दिल्ली पहुंच सकती है और शायद न ही उनकी समस्या का निराकरण हो। इसके लिए जरूरी है, कि स्थानीय भाजपाइयों के सहारे ही खुद को मजबूत रखा जा सके। अपनी इस कवायद के तहत संबंधित नेताओं ने पार्टी के क्षत्रपों की गणेश परिक्रमा के साथ उन्हें अपना नेता बताने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
कौन किसके सहारे?
सांची विधानसभा से चुनाव जीते मंत्री प्रभुराम चौधरी ने खुद को शिवराज खेमे के नेता के तौर पर पेश करने लगे हैं, इसके अलावा बिसाहूलाल साहू, गोविंद सिंह, हरदीप सिंह डंग और तुलसी सिलावट भी शिवराज के विश्वासपात्र बनने में लगे हुए हैं। उधर सिलावट कैलाश विजयवर्गीय से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश भी कर रहे हैं, हाटपिपल्या से चुनाव जीते मनोज चौधरी ने भी विजयवर्गीय का दामन थाम लिया है। मांधाता के नारायण पटेल और नेपानगर की सुमित्रा देवी को नंदकुमार चौहान की प्रभात फेरी करते देखा जा सकता है।
ग्वालियर से चुनाव जीते प्रद्युम्न सिंह तोमर नरेंद्र सिंह तोमर का लेवल लगाने की कोशिश में है। इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल के अधिकतर दल बदलने वाले नेता तोमर और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के नजदीक जाने की कोशिश कर रहे हैं। उधर दतिया के भांडेर से चुनाव जीती रक्षा पिरोनिया गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के संरक्षण में नजर आ रही हैं।